लोकसभा में ओम बिरला और अभिषेक बनर्जी के बीच तीखा वाद-विवाद: किसान कानून और बजट 2024
बुधवार को लोकसभा सत्र के दौरान एक ऐसा समय आया जब ऐसा लगा कि दो प्रमुख नेताओं के बीच आपसी समझ गायब है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी और लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने किसान कानून और बजट 2024 पर चर्चा के दौरान एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए।
अभिषेक बनर्जी ने दावा किया कि सरकार ने किसानों की सलाह लिए बिना ही तीनों विवादास्पद कानून पारित कर दिए थे। यह कहते हुए उन्होंने स्पीकर से पूछा कि अगर सच में इन कानूनों पर बहस हुई थी तो किसानों के संगठनों और विपक्षी दलों से सलाह-मशविरा क्यों नहीं किया गया था। स्पीकर बिरला ने इस बयान का तुरंत प्रतिवाद किया और कहा, "इस सदन ने इन मुद्दों पर पांच घंटे से अधिक समय तक चर्चा की।"
इसके बावजूद बनर्जी अपनी बात पर कायम रहे और उन्होंने दोहराया कि न तो किसानों को और न ही विपक्ष को इस कानूनों पर सही तरीके से चर्चा करने का मौका मिला। स्पीकर की ओर से यह कहते हुए दर्जनों बार हेंगा कि "रिकॉर्ड सही करने के लिए, इस सदन ने पांच घंटे और आधा घंटा से अधिक समय तक चर्चा की।"
बजट 2024 पर आरोप
बनर्जी का सिर्फ किसानों के कानून पर ही नहीं बल्कि बजट 2024 पर भी कड़ा विरोध देखने को मिला। उन्होंने दावा किया कि यह बजट न केवल दृष्टिहीन है बल्कि यह भी केवल बीजेपी के गठबंधन सहयोगियों, मुख्यतः चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार को खुश करने के इरादे से तैयार किया गया है। उन्होंने बजट को दो मुखियों द्वारा तैयार दस्तावेज की तरह बताया, जिसे अन्य दो को प्रसन्न करने के लिए बनाया गया है।
विपक्ष की यह भी दलील रखी गई कि बजट 2024 में बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष प्राथमिकता दी गई है, जबकि अन्य राज्यों को नजरअंदाज किया गया है। विपक्ष का कहना था कि ये राज्य बीजेपी के मुख्य सहयोगियों द्वारा शासित हैं और इसलिए इनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया गया है।
बीजेपी पर तीखा हमला
बनर्जी ने इस मौके का फायदा उठाते हुए बीजेपी पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने यह कहते हुए कि अयोध्या और बद्रीनाथ में बीजेपी की करारी हार हुई है, न्याय की जीत होने की बात कही। उन्होंने प्रधानमंत्री पर भी हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने देश के भविष्य से अधिक अपनी राजनीतिक सरोकार को प्राथमिकता दी है।
इस बहस के दौरान दोनों पक्षों के सदस्यों में भारी उत्तेजना और गरमागरमी रही। जगह-जगह से आवाजें उठती रहीं और सदन में सत्र के दौरान तनाव का माहौल बना रहा।
अभिषेक बनर्जी ने यह भी स्पष्ट किया कि संसद को सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करनी चाहिए और राजनीतिक रोटियां सेंकने की बजाय आम जनता की भलाइ के लिए काम करना चाहिए। उनके विचारों ने यह स्पष्ट कर दिया कि तृणमूल कांग्रेस किसी भी अप्रिय कदम से पीछे हटने वाली नहीं है और सदन में खुलकर अपनी आवाज उठाती रहेगी।
यह घटनाक्रम बताता है कि जैसे-जैसे 2024 के चुनाव करीब आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक गतिविधियों में तीव्रता बढ़ रही है। सत्र में बहसों का गर्म होना दर्शाता है कि आने वाले समय में राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर और बढ़ेगा।
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