आश्चर्यजनक उपलब्धि
जापान के गुनमा प्रांत में बसे माउंटेनिंग क्लब के सम्मानित चेयरमैन कोकोइची आकुज़ावा ने गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्जी दर्जा हासिल किया। 102 वर्ष और 51 दिन की उम्र में उन्होंने 3,776 मीटर ऊँचे माउंट फ़ुजि को सफलतापूर्वक चढ़ा, जो उस समय का सबसे बड़ा व्यक्तिगत साहसिक कार्य माना गया। यह चुनौती अगस्त 2025 की शुरुआती गर्मियों में पूरी हुई, जब उन्होंने अपने शरीर में हुए हृदय रोग के बाद भी इस कठिनाई को पार किया।
आकुज़ावा का यह शिखर पर पहुंचना किस्मत नहीं, बल्कि एक सख्त प्रशिक्षण कार्यक्रम का परिणाम था। वह अपने जीवन में लगभग हर सप्ताह पहाड़ों की सैर करता है और नियमित रूप से विभिन्न चोटियों को छूते रहते हैं। 96 साल की उम्र में माउंट फ़ुजि पर उनका पहला सफल आरोहण और 99 साल की उम्र में नाबेवारियामा (1,272 मीटर) की चढ़ाई ने यह सिद्ध किया था कि उम्र केवल एक संख्या है, जब इरादा मजबूत हो।
सर्वेक्षण के अनुसार, माउंट फ़ुजि के चार प्रमुख रूटों में से यॉशिदा रूट सबसे आसान माना जाता है, फिर भी यह गंतव्य के लिए प्रतिकूल मौसम, पत्थर गिरने और ऊँचे तापमान में विविधता देता है। आकुज़ावा ने इस रूट को चुना और सामान्य छह घंटे की यात्रा को तीन दिन में बाँट कर दो रातें पहाड़ी बुटकों में बिताई, जिससे शरीर को उचित आराम मिल सके।
- पहला दिन: आधार शिविर से मिश्रित ट्रेल पर आंका गया, हल्की ऐठन और साँसों में थकान महसूस हुई।
- दूसरा दिन: दो रातों के बुटकों में विश्राम, पोषक भोज और हाइड्रेशन पर ध्यान दिया गया।
- तीसरा दिन: सुबह जल्दी उठकर शिखर की ओर अंतिम धक्का, लगभग दो घंटे में 2,550 मीटर की ऊँचाई पर पहुँचे।
क्लाइंबिंग क्लब के सदस्यों ने बताया कि आकुज़ावा ने हमेशा अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान रखा। उनके नियमित कार्डियो व्यायाम, हल्की रग्बी और योगा ने उन्हें हृदय रोग के बाद भी सक्रिय रख दिया। यह प्रतिबद्धता और दृढ़ संकल्प ही इस रिकॉर्ड को संभव बना पाया।

पारिवारिक सहयोग और भविष्य की योजना
आकुज़ावा की इस महान यात्रा में उनके परिवार का हाथ बँटा नज़र नहीं आया। 70‑सालिया बेटी, पोती और क्लब के कई युवा क्लाइंबर ने उन्हें साथ चलाया। सभी ने मिलकर सामान बाँटा, जल उपलब्धि और मार्गदर्शन किया। आकुज़ावा ने यात्रा के बाद कहा, "बिना परिवार और मित्रों के यह काम सम्भव नहीं होता।"
इसे देखते हुए, पिछले रिकॉर्डधारी तइइची इगाराशी (99 साल, 1986) और इचिजिरो अराया (100 साल, 258 दिन, 1994) की उपलब्धियों को पीछे छोड़ते हुए, आकुज़ावा ने इतिहास में नया अध्याय लिख दिया।
जब उनसे भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने हल्की मुस्कान के साथ उत्तर दिया, "फिर कभी नहीं, लेकिन अगर अगली साल पूछोगे तो जवाब बदल सकता है।" यह बयान उनकी विनम्रता को दर्शाता है, जबकि उनका आत्मविश्वास यह संकेत देता है कि उम्र कोई सीमा नहीं बनती।
माउंट फ़ुजि जापानी संस्कृति में आध्यात्मिक और कलात्मक महत्व रखता है। एइक्यू एंडो के पसंदीदा विषयों में से एक, वह होकुसाई की प्रसिद्ध उक्कियो‑ए "त्रिरूपी दृश्यों में फ़ुजि" में भी उतरा है। आकुज़ावा की इस जीत ने इस पावन शिखर को नई कहानी जोड़ दी, जो गहरी प्रेरणा का स्रोत बन गई है।
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