एक महान क्रिकेट करियर की शुरुआत
नीतू डेविड का जन्म भारत के कानपुर शहर में हुआ था, जहाँ उन्होंने क्रिकेट के प्रति अपना लगाव बचपन से ही प्रकट किया। हालांकि, उनकी क्रिकेट यात्रा का असली आगाज 1995 में हुआ, जब उन्होंने 17 साल की उम्र में भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी। उनके पदार्पण मैच ने यह इशारा किया कि भारतीय महिला क्रिकेट में शांति नहीं, बल्कि गरज का समय आने वाला है। नीतू ने न केवल उस समय की प्रतिकूलताओं का सामना किया बल्कि समय की कसौटी पर खुद को साबित भी किया। उनकी गेंदबाजी जिसके बारे में कहा जाता है, उसमें एक खासियत थी - सटीकता और कुशलता का अनूठा संगम।
गेंदबाजी के उत्कृष्टता की मिसाल
नीतू डेविड ने जamshedpur में इंग्लैंड के खिलाफ खेले एक मैच में 8/53 के आंकड़े देकर इतिहास रच दिया। यह प्रदर्शन किसी अनपेक्षित सफलता का परिणाम नहीं था, बल्कि उनकी गेंदबाजी के अभ्यास और समर्पण का उदाहरण था। इस रिकॉर्ड ने न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। उस मैच के दौरान, उन्होंने अपनी गेंदबाजी के हर पहलू को उत्कृष्टता के साथ प्रस्तुत किया। यह उनके करियर में एक ऐसा मील का पत्थर बना, जिसने उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक मुख्य धारा के खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया।
अंतरराष्ट्रीय सफलता का सफर
नीतू डेविड ने अपने करियर में 10 टेस्ट और 97 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेले। इस दौरान उन्होंने क्रमशः 41 और 141 विकेट हासिल किए। वनडे क्रिकेट में 100 से अधिक विकेट लेने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बनने का सौभाग्य नीतू को ही प्राप्त हुआ। उनके विकेटों का सिलसिला यह दर्शाता है कि कैसे उन्होंने विभिन्न प्रकार की पिचों और परिस्थितियों के बावजूद खुद को अनुकूलित किया। किसी भी क्रिकेटर के लिए यह एक बड़ी बात होती है जब कठिन दौर में भी वह अपने खेल को स्थिरता के साथ कायम रखता है और नीतू ने इसे अपने क्रिकेट करियर के दौरान बार-बार प्रमाणित किया है।
करियर का अंत और वापसी
2006 में, नीतू ने सक्रिय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। हालांकि, उनका क्रिकेट के प्रति प्रेम उन्हें 2008 में एशिया कप और इंग्लैंड दौरे के लिए वापसी करने का प्रोत्साहन दिया। यद्यपि उनकी वापसी कुछ समय के लिए थी, फिर भी उन्होंने अपने प्रदर्शन द्वारा यह स्पष्ट कर दिया कि उनका क्रिकेट के प्रति समर्पण कभी नहीं बदला। उन्होंने 2013 में रेलवे के लिए आखिरी घरेलू मैच खेल कर अपनी क्रिकेट यात्रा समाप्त की, जिसमें उन्होंने अपनी टीम को सीनियर महिला T20 लीग का खिताब जिताने में मदद की।
चुनाव समिति की अध्यक्षता
नीतू डेविड आज भारतीय महिला क्रिकेट टीम की चयन समिति की अध्यक्ष हैं। इस नए भूमिका में भी उन्होंने वही समर्पण और दृष्टिकोण का उपयोग किया जो उन्होंने खेलते समय दिखाया था। इस भूमिका में नीतू क्षमता और योग्यता को पहचानने के अपने कौशल का उपयोग करती हैं। एक खिलाड़ी के रूप में अपने उपल क्रिकेट कार्यकाल और अनुभव का उपयोग करके, वह भारतीय महिला क्रिकेट के भविष्य को उज्जवल बनाने में अपना योगदान देती हैं।
आईसीसी हॉल ऑफ फेम सम्मान
2024 में, नीतू डेविड को आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल होना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इस विशेष सम्मान ने न केवल नीतू को व्यक्तिगत रूप से गर्व का अनुभव कराया, बल्कि भारतीय महिला क्रिकेट के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उनके साथ ही इस सूची में पूर्व दक्षिण अफ्रीकी दिग्गज एबी डी विलियर्स और पूर्व इंग्लैंड के कप्तान एलिस्टर कुक भी शामिल हुए। नीतू का यह सम्मान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय महिला क्रिकेट की स्थिति को और मजबूत बनाता है।
असंख्य योगदान और एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व
नीतू डेविड का करियर उन खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है जो प्रतिकूलताओं का सामना कर रहे हैं लेकिन अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ निश्चय के साथ लगे हुए हैं। उनके करियर की कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिन परिश्रम और लगातार प्रयासों से किसी भी चुनौती पर विजय पाई जा सकती है। यह उनकी कहानी ही है जो भविष्य में भारतीय महिलाओं को खेल की दुनिया में खुद को स्थापित करने के लिए प्रेरित करेगी।
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