रिकॉर्ड बारिश का आँकड़ा और पृष्ठभूमि
23 सितंबर को कोलकाता ने 24 घंटे में 251.4 मिमी की बरसात दर्ज की, जो शहर के मौसम विभाग के रिकॉर्ड में कई सालों में सबसे अधिक है। केवल तीन घंटे में 185 मिमी बारिश गिरने से बाढ़ की स्थिति और तीव्र हो गई। अलिपोर में अकेले 247.5 मिमी पानी जमा हो गया, जिससे आसपास के कई बुनियादी ढाँचे टपटपाने लगे।
ऐसे जलवायु परिवर्तन के साथ झंझट वाले सालों में, कोलकाटा की नालियों और जल निकासी प्रणाली पर पहले भी दबाव बना रहता है। 2020 में 188 मिमी की बारिश ने कई क्षेत्रों को पानी में धकेल दिया था, पर इस बार का दाब बहुत अधिक था, जिससे रैखिक रूप से बाढ़ की गति तेज हो गई।

मानव जीवन पर प्रभाव, यातायात बिगड़ना और आर्थिक नुकसान
दुर्भाग्यवश, इस अनपेक्षित बाढ़ में 10 लोगों की जान गई। आठ लोगों की मौत बिजली के तारों के संपर्क में आकर हुई, जबकि दो लोग तेज़ तेज़ बहते जल में डूब गए। यह दिखाता है कि फसल को रोकने के उपायों की कमी और जागरूकता की कमी से जीवन को बड़ा जोखिम होता है।
परिवहन सेक्टर भी पूरी तरह से ठप हो गया। नेवासी सुबाश चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की रनवे पानी के नीचे डूबी, जिससे 90 से अधिक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रद्द करना पड़ा। रेल नेटवर्क में कई दीर्घ दूरी की ट्रेनों को पुनर्निर्धारित किया गया, जबकि कोलकाता मेट्रो की कई लाइनें बंद कर दी गईं।
स्थानीय व्यापारियों को भी बड़ा झटका लगा। बाजारों, छोटे दुकानों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में पानी ने इन सबको आकस्मिक रूप से बंद कर दिया। साथ ही, दुर्गा पूजा की तैयारियों में भी भारी बाधा आई, क्योंकि कई पंडाल जल में डूबकर तैयारियों को रुकना पड़ा। मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी को इन पंडालों की जलभराव की वजह से उनका उद्घाटन रद्द करना पड़ा।
कोलकाता बाढ़ ने शहर की बुनियादी ढाँचा, आपदा प्रबंधन और नागरिक जागरूकता में खामियों को उजागर किया। जल निकासी की खराबी, पुरानी नाली और अछूते जलकुंभ कई जगहों पर खतरनाक स्थिति पैदा कर रहे हैं।
सरकार ने तुरंत आपातकालीन सहायता टीमें तैनात कीं, जिसमें ड्रम बोट, हाई-एंड डेस्कन, और मोबाइल हेल्थ यूनिट शामिल हैं। मरम्मत कार्य के लिए अतिरिक्त बजट आवंटित किया गया, और प्रभावित लोगों को शीघ्र राहत सामग्री प्रदान करने की बात कही। मौसम विभाग ने भविष्य में अगले दो हफ्तों तक हल्की‑मध्यम बारिश की संभावना जताई, क्योंकि बंगाल की खाड़ी में स्थित लो‑प्रेशर डिप्रेशन अभी भी कमजोर हो रहा है।
- नालियों की सफाई और सुधार पर त्वरित कार्य शुरू।
- फ़्लड‑सेंसिंग तकनीक के माध्यम से जल स्तर मॉनिटरिंग को सुदृढ़ किया जाएगा।
- भविष्य में ऐसे गंभीर जलवायु घटनाओं के लिये विशेष आपदा प्रबंधन योजना तैयार की जाएगी।
- स्थानीय जनता को जलरोधी कपड़े, रबर जूते और बचाव के मूलभूत उपायों के बारे में जागरूक किया जाएगा।
अगले हफ्तों में, शहर को धीरे‑धीरे सामान्य स्थिति में लाने के लिए ड्रेनेज सिस्टम को साफ़ करना, बाढ़‑संकटग्रस्त इलाकों में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना और शहरी नियोजन में जलवायु अनुकूलन पर काम करना होगा। जबकि दुर्गा पूजा की तैयारियाँ अभी भी सुलह की राह पर हैं, नागरिकों को उम्मीद है कि सरकार की तत्परता से इस बुनियादी संकट को संभालने में मदद मिलेगी।
एक टिप्पणी लिखें