परिचय
थाईलैंड की राजनीति एक बार फिर से उथल-पुथल का सामना कर रही है। इस बार इसका कारण है 37 वर्षीय पैटोंगटार्न शिनावात्रा, जो देश की नई और अब तक की सबसे युवा प्रधानमंत्री नियुक्त की गई हैं। पैटोंगटार्न शिनावात्रा का नाम राजनीति में नया है, लेकिन उनके परिवार का राजनीतिक इतिहास काफी पुराना और विवादास्पद है।
पारिवारिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि
पैटोंगटार्न शिनावात्रा थक्सिन शिनावात्रा की बेटी हैं, जो थाईलैंड के एक पूर्व प्रधानमंत्री थे और जिनकी सरकार को सैन्य तख्तापलट के जरिए हटा दिया गया था। इसके बाद उनकी बुआ यिंगलुक शिनावात्रा भी प्रधानमंत्री बनीं, लेकिन उन्हें भी सैनिक हस्तक्षेप के कारण पद छोड़ना पड़ा।
राजनीतिक करियर की शुरुआत
पैटोंगटार्न का राजनीतिक सफर 2021 में शुरू हुआ, जब उन्होंने फेउ थाई पार्टी के समावेश और नवाचार सलाहकार समिति की अध्यक्षता संभाली। उनकी राजनीति में नई, लेकिन उनके विचार और योजनाएं बहुत महत्वाकांक्षी हैं।
नई योजनाएँ और चुनौतियाँ
पैटोंगटार्न की प्रमुख योजनाओं में सार्वजनिक परिवहन किरायों में कमी, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और न्यूनतम दैनिक वेतन को दोगुना करना शामिल है। लेकिन उन्हें अपने परिवार की विरासत और देश की राजनीतिक अस्थिरता से जूझना पड़ेगा।
सार्वजनिक परिवहन
पैटोंगटार्न का मानना है कि थाईलैंड में परिवहन की लागत को कम किया जाना चाहिए जिससे आम नागरिकों का जीवन आसान हो सके। यह कदम देश के मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों की स्थिति को सुधार सकता है।
स्वास्थ्य सेवाएँ
स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की योजना से पैटोंगटार्न को गरीब और दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का समर्थन मिल सकता है। वह चाहती हैं कि हर नागरिक को अच्छे स्वास्थ्य की सुविधा मिले।
आर्थिक चुनौतियाँ
आर्थिक चुनौतियाँ थाईलैंड के सामने एक बड़ी समस्या है। पैटोंगटार्न को आर्थिक अनिश्चितता और बेरोजगारी से भी निपटना होगा। उनके द्वारा प्रस्तावित न्यूनतम दैनिक वेतन को दोगुना करने की योजना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
राजनीतिक अस्थिरता और नई गठबंधन
थाईलैंड की राजनीति में एक और बड़ी घटना फेउ थाई पार्टी का सैन्य-संरेखित पार्टियों के साथ गठबंधन बनाना था। यह गठबंधन राजनीति में स्थिरता लाने की कोशिश में है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम लंबे समय में कितना प्रभावी होगा, यह देखना बाकी है।
थाईलैंड की राजनीति का भविष्य
पैटोंगटार्न शिनावात्रा की नियुक्ति तब हुई जब उनके पिता थक्सिन शिनावात्रा ने अगस्त 2023 में देश वापसी की। यह वापसी संभवत: उनके पुराने रूढ़िवादी प्रतिद्वंद्वियों के साथ हुए समझौते के तहत हुई है।
अब पैटोंगटार्न के सामने एक जटिल राजनीतिक परिदृश्य है जिसमें उन्हें देश की आर्थिक मुद्दों को हल करना होगा और अपने परिवार की विवादास्पद राजनीतिक विरासत से भी निपटना होगा। उनके नेतृत्व में थाईलैंड की राजनीति एक नया मोड़ ले सकती है।
निष्कर्ष
पैटोंगटार्न शिनावात्रा की नई यात्रा थाईलैंड की राजनीति में कई नया प्रारंभ कर सकती है। उनके द्वारा उठाए गए कदम और नीतियाँ देश के नागरिकों को एक बेहतर भविष्य की आशा दे सकते हैं। लेकिन यह यात्रा कितनी सफल होगी, यह समय ही बताएगा।
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