स्पॉन्सर-लेस जर्सी: टीम इंडिया का नया लुक और उसका मतलब
कई साल बाद भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी बिना किसी बड़े ब्रांड के नाम के नजर आएगी। Asia Cup 2025 से ठीक पहले टीम इंडिया ने अपनी नई स्पॉन्सर-लेस किट रिलीज़ की, जिसमें सीने पर सिर्फ ‘INDIA’ और टूर्नामेंट का लोगो है—मध्य भाग पूरी तरह खाली। यह कदम दिखाता है कि मैदान पर पहचान सिर्फ रंग और बैज से भी बनती है, ब्रांडिंग के बिना भी नहीं।
ऑलराउंडर शिवम दुबे ने इस जर्सी को अनवील किया। टूर्नामेंट 9 सितंबर से यूएई में शुरू होगा। भारत बतौर डिफेंडिंग चैंपियन 10 सितंबर को यूएई के खिलाफ अपना अभियान शुरू करेगा, जबकि बहुचर्चित मुकाबला 14 सितंबर को दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में पाकिस्तान से होगा। ग्रुप ए में भारत के साथ यूएई, ओमान और पाकिस्तान हैं—मतलब शुरुआती हफ्ते में ही हाई-वोल्टेज क्रिकेट तय है।
डिज़ाइन की बात करें तो यह किट क्लीन और मिनिमल लुक देती है। नीले रंग के बेस पर ‘INDIA’ उभरा हुआ है, कंधों पर तिरंगे की धारियां दिखती हैं और दाएं-पास टूर्नामेंट का चिन्ह है। जो चीज सबसे ज्यादा ध्यान खींचती है, वह है बीच का खाली हिस्सा—यही वह जगह थी जहां 2023 से Dream11 की ब्रांडिंग दिखती थी। अब यहां कुछ नहीं। टीवी स्क्रीन पर, फोटोज़ में और फैन मर्चेंडाइज़ पर यही खालीपन सबसे बड़ा विजुअल बदलाव बनेगा।
जर्सी लॉन्च के साथ BCCI ने एक एनर्जेटिक प्रमोशनल वीडियो भी शेयर किया, जिसमें कप्तान सूर्यकुमार यादव, हार्दिक पांड्या और जसप्रीत बुमराह नजर आए। वीडियो में सुर्या की शुरुआती लाइन थी—“एशियाई चैंपियन का खिताब”—जबकि संजू सैमसन ने कहा, “यह हमारे लिए हल्का नहीं है।” हार्दिक ने इस बार की लड़ाई को “सम्मान और प्रतिष्ठा” से जोड़ा और वादा किया कि टीम “अपना सब कुछ झोंक देगी।” ये छोटे-छोटे मैसेज बता रहे हैं कि ड्रेसिंग रूम का फोकस सिर्फ एक चीज पर है—टाइटल बचाना।
एडिडास, जो ऑफिशियल किट मैन्युफैक्चरर है, पुरानी Dream11-ब्रांडेड जर्सियों पर बड़ा डिस्काउंट दे रहा है—मूल्य 5,999 रुपये से घटाकर 1,199 रुपये। यह क्लियरेंस स्टेप सामान्य है, क्योंकि बड़े टूर्नामेंट से पहले पुराने स्टॉक को तेजी से निकालना पड़ता है। दिलचस्प बात यह है कि कई फैन्स “क्लीन-चेस्ट” डिजाइन को भी पसंद कर रहे हैं—कुछ लोगों को लगता है कि बिना ब्रांड के जर्सी ज्यादा क्लासिक दिखती है।
स्पॉन्सर बदलना भारतीय टीम के लिए नई बात नहीं है। बीते दशक में मुख्य स्पॉन्सर कई बार बदले—Byju’s ने Oppo की जगह ली, फिर Dream11 आया। लेकिन बीच का खाली सीना आज के दौर में दुर्लभ है। यह सिर्फ कॉर्पोरेट बदली नहीं, एक संकेत है कि खेल और रेगुलेशन दोनों साथ-साथ बदल रहे हैं।
मैदान के लिहाज से शेड्यूल टाइट है—यूएई की गर्म और सूखी परिस्थितियां तेज गेंदबाजों और बड़े-हिटरों दोनों की परीक्षा लेंगी। ग्रुप ए में पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबला न सिर्फ पॉइंट्स टेबल के लिए अहम है, बल्कि ब्रॉडकास्ट रीच, स्टेडियम फुटफॉल और ब्रांड एक्सपोज़र के लिहाज से भी निर्णायक रहता है। ऐसे मैचों में जर्सी के हर पिक्सेल पर कैमराओं की नजर होती है—और इस बार वह खाली जगह भी चर्चा में रहेगी।
कानूनी बदलाव, BCCI की रणनीति और स्पॉन्सरशिप बाज़ार
Dream11 के साथ BCCI का करार भारत के नए ऑनलाइन गेमिंग बिल के बाद खत्म हुआ। यह कानून ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को बढ़ावा देने की बात करता है, लेकिन ऑनलाइन मनी-गेमिंग को प्रतिबंधित करता है। फैंटेसी स्पोर्ट्स लंबे समय से बहस के केंद्र में रहे हैं—क्या यह गेम ऑफ स्किल है या मनी-गेमिंग? नया ढांचा सख्त है, और बोर्ड किसी कानूनी ग्रे-ज़ोन में नहीं रहना चाहता। BCCI के सचिव देवजीत सैकिया ने पुष्टि की कि यही वजह साझेदारी खत्म करने की मूल वजह बनी।
अब बोर्ड ने नए लीड स्पॉन्सर के लिए औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है। Invitation of Expression of Interest (IEOI) खरीदने की आखिरी तारीख 12 सितंबर तय की गई है, जबकि बिड सबमिशन 16 सितंबर तक होगा। मतलब बोर्ड चाह रहा है कि टूर्नामेंट के शुरुआती चरणों के भीतर-भीतर शॉर्टलिस्टिंग आगे बढ़े। फिर भी, नियमों के मुताबिक टीम बिना ब्रांड के भी खेल सकती है—जैसा कि इस किट में दिख रहा है।
कौन से सेक्टर आगे आ सकते हैं? ऐतिहासिक ट्रेंड देखें तो टेलीकॉम, कंज्यूमर टेक, FMCG, एग्रीगेटर्स, फिनटेक, ऑटो और पेंट/सीमेंट जैसी होम-इंप्रूवमेंट कंपनियां भारतीय टीम की जर्सी पर दिलचस्पी लेती रही हैं। वजह साफ है—क्रिकेट भारत का सबसे बड़ा मीडिया प्रॉपर्टी है, और इंडिया-पाकिस्तान जैसे मैच तो दुनियाभर में करोड़ों आंखें खींचते हैं। इस बार टूर्नामेंट यूएई में है, जहां भारतीय डायसपोरा स्टेडियम भर देता है। ब्रांड्स के लिए यह रीच टीवी, स्ट्रीमिंग और स्टेडियम—तीनों मोर्चों पर बड़ी जीत होती है।
लीड जर्सी स्पॉन्सरशिप सिर्फ मैच-दिवस की विजिबिलिटी नहीं होती। इसमें आम तौर पर तीनों फॉर्मेट्स (टेस्ट/ODI/T20) की जर्सी पर मुख्य लोगो, ट्रेनिंग किट ब्रांडिंग, टीम फोटो-ऑप्स, प्रेस-दीवार, डिजिटल एसेट्स और कुछ एक्टिवेशन राइट्स शामिल रहते हैं। टूर्नामेंट की अवधि और ICC/एशियन क्रिकेट काउंसिल के गाइडलाइंस के हिसाब से लोगो का आकार, प्लेसमेंट और रंग तय होते हैं—यही वजह है कि नई ब्रांडिंग को ऑन-एयर जाने से पहले टेक्निकल क्लियरेंस भी लेनी पड़ती है।
क्या यह बदलाव खिलाड़ियों या खेलने के तरीके को प्रभावित करेगा? नहीं। खिलाड़ियों के कॉन्ट्रैक्ट और मैच फीस अलग चैनल से चलते हैं; जर्सी स्पॉन्सरशिप मुख्यत: बोर्ड की कमर्शियल आय का हिस्सा है। हां, बोर्ड की रेवेन्यू-मिक्स में यह एक अहम धुरी जरूर है। अच्छी खबर यह है कि मीडिया राइट्स, ग्राउंड स्पॉन्सरशिप और टीम परफॉर्मेंस से आने वाली वैल्यू चेन जस की तस है—इसीलिए BCCI को जल्दबाजी की जरूरत नहीं, पर स्पष्टता की जरूरत जरूर है।
फैन्स के लिए क्या बदलेगा और क्या नहीं? एक त्वरित नजर:
- मैदान पर: जर्सी के बीच का हिस्सा खाली दिखेगा; बाकी डिजाइन और रंग पहले जैसे ही हैं।
- मर्चेंडाइज़: एडिडास पुरानी ब्रांडेड जर्सियों पर भारी छूट दे रहा है; नई जर्सी का “क्लीन-चेस्ट” वर्जन अब मुख्य स्टॉक होगा।
- मैच-डे एक्सपीरियंस: टीवी और डिजिटल पर ब्रांड की जगह अब ‘INDIA’ ज्यादा उभरेगा—कई फैन्स इसे क्लासिक लुक मान रहे हैं।
- रेगुलेशन: नया कानून लागू है, और उसी का असर स्पॉन्सरशिप मैप पर दिख रहा है।
एक बड़ा सवाल यह है कि क्या बोर्ड टूर्नामेंट के बीच में भी नया लोगो जोड़ सकता है? तकनीकी रूप से संभव है, बशर्ते लीग/टूर्नामेंट आयोजकों और ICC/ACC के ब्रांडिंग नियमों के अनुरूप समय रहते एप्रूवल मिल जाए। हालांकि, बड़े टूर्नामेंटों में स्थिरता पसंद की जाती है—इसलिए बोर्ड की प्राथमिकता या तो शुरुआत से नया पार्टनर लाने की होगी, या पूरे टूर्नामेंट में क्लीन-चेस्ट रहना।
इस कदम का असर बाकी खेल इकोसिस्टम पर भी दिखेगा। कई टीमों और लीगों ने पिछले सालों में ऑनलाइन गेमिंग और फैंटेसी प्लेटफॉर्म्स पर निर्भरता बढ़ाई थी। नए नियमों के बाद वे भी अपने कॉन्ट्रैक्ट फिर से परखेंगे। IPL फ्रेंचाइजियों का ढांचा अलग है, पर राष्ट्रीय टीम की लाइन खिंचते ही मार्केट को संकेत मिल जाता है कि “सेफ” कैटेगिरी कौन-सी हैं और किनसे दूरी रखनी है।
भारत-पाकिस्तान मैच इस बार सिर्फ खेल की कसौटी नहीं होगा; यह ब्रांड वैल्यू की एक लाइव केस-स्टडी भी बनेगा। खाली सीना कंस्यूमर माइंड में क्या प्रभाव छोड़ता है? क्या ‘INDIA’ शब्द ही वह भावनात्मक कनेक्शन है जो ब्रांड-लोगो से ज्यादा दमदार दिखे? शुरुआती सोशल बातचीत इसी ओर इशारा करती है कि “क्लीन-चेस्ट” लुक को लोगों ने जल्दी अपनाया है।
आगे की राह? BCCI के पास समय कम है, पर विकल्प बहुत हैं। एक स्थायी मल्टी-इयर पार्टनरशिप सबसे बेहतर राह है, क्योंकि इससे ब्रांडिंग, प्रोडक्शन और सप्लाई-चेन में स्थिरता मिलती है। साथ ही, नए नियमों के हिसाब से अनुबंध की भाषा—डिफिनिशंस, कॉम्प्लायंस क्लॉज़, और एग्जिट-राइट्स—पहले से ज्यादा साफ-सुथरी रखनी होगी।
फिलहाल, टीम इंडिया यूएई की पिचों पर अपने खिताब की रक्षा के लिए तैयार है—बिना किसी स्पॉन्सर लोगो के, पर ‘INDIA’ और नीले रंग के आत्मविश्वास के साथ। और सच कहें तो, जब गेंद नई हो, भीड़ शोर कर रही हो और कैमरा आपके सीने पर जूम कर रहा हो—तब सबसे ज़्यादा चमकती है सिर्फ एक चीज़: बैज और वो पांच अक्षर—INDIA।
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