स्वास्थ्य आपातकाल: जब बचाव की देर हो जाए तो क्या करें
जब बारिश इतनी ज़ोरदार हो कि घर का फर्श डूब जाए, या कोई बीमारी एक दिन में पूरे गाँव को छा जाए — तब वो हालत स्वास्थ्य आपातकाल, जब सामान्य चिकित्सा सुविधाएँ बंद हो जाएँ और जनता की जान बचाने के लिए तुरंत कार्रवाई की ज़रूरत हो कहलाती है। ये आपातकाल सिर्फ अस्पतालों की कमी नहीं, बल्कि पानी, बिजली, सड़कों और जानकारी के बंद हो जाने का नतीजा होता है। जब बिहार में IMD ने 6 अक्टूबर 2025 को अत्यधिक वर्षा का अलर्ट जारी किया, तो ये सिर्फ मौसम की बात नहीं थी — ये एक आपातकालीन चिकित्सा, जब बीमारियाँ, चोटें और निर्जलीकरण एक साथ आपके घर के दरवाज़े पर दस्तक देती हैं की शुरुआत थी।
इस तरह के आपातकाल में बचने का रास्ता सिर्फ बचाव नहीं, बल्कि तैयारी है। कोलकाता में 23 सितंबर 2025 को जब 251.4 मिमी बारिश हुई, तो 10 लोग मर गए — क्यों? क्योंकि कोई नहीं जानता था कि बाढ़ के बाद पानी में बैक्टीरिया कैसे फैलते हैं। जब घर का बिजली का बक्सा डूब जाए, तो दवाइयाँ खराब हो जाती हैं। जब अस्पतालों के रास्ते बंद हो जाएँ, तो दिल का दौरा पड़ने वाला आदमी बच नहीं पाता। ये सब अकेली बारिश की वजह से नहीं, बल्कि स्वास्थ्य आपातकाल, जब बेसिक सुविधाएँ गायब हो जाएँ और आम आदमी अकेला रह जाए के नियमों को नज़रअंदाज़ करने का नतीजा है।
आपके आसपास क्या हो रहा है? क्या आप जानते हैं कि बाढ़ के बाद कौन सी बीमारियाँ सबसे ज़्यादा खतरनाक होती हैं? क्या आपके घर में आपातकालीन दवाओं का स्टॉक है? ये सवाल आज नहीं, आज के बाद की एक बारिश के लिए ज़रूरी हैं। यहाँ आपको ऐसे ही असली मामले मिलेंगे — जहाँ एक डायविंग कैच ने टूर्नामेंट बचाया, वहीं एक बाढ़ ने पूरा शहर बर्बाद कर दिया। आपके लिए ये कहानियाँ सिर्फ खबर नहीं, बल्कि बचाव की नक्शा हैं। आपको यहाँ वो तथ्य मिलेंगे जिन्हें आपके डॉक्टर नहीं बताते — क्योंकि वो तो अस्पताल में होते हैं, और आप बाहर।