केंद्रीय बजट 2024: क्या बदल रहा है?
जब हम केंद्रीय बजट 2024, भारत सरकार का वार्षिक वित्तीय योजना है जो वित्त वर्ष 2024‑25 के लिये राजस्व, खर्च और नीति दिशा‑निर्देश तय करता है. इसे अक्सर सालाना बजट कहा जाता है, क्योंकि यह हर वर्ष संसद में पेश किया जाता है और देश की आर्थिक दिशा को स्पष्ट करता है.
संपूर्ण बजट तीन मुख्य घटकों से बना होता है: राजस्व, सरकार की आय के मुख्य स्रोत जैसे कर, टैक्स और गैर‑कर आय, खर्च, विभिन्न मंत्रालयों, सामाजिक योजनाओं और बुनियादी ढाँचे में निवेश और कर, आयकर, महँगी, GST जैसे टैक्स संरचनाएँ. इन तीनों के बीच संतुलन बनाना ही बजट का मुख्य लक्ष्य है, क्योंकि अधिक खर्च से घाटा बढ़ सकता है और राजस्व घटने से विकास रुक सकता है.
मुख्य पहल और उनके आर्थिक प्रभाव
केंद्रीय बजट 2024 में इस साल के दो बड़े ट्रेंड साफ़ हैं: पहले, रोज़गार‑फ़ोकस वाले प्रोग्रामों की निधि बढ़ाना, और दूसरे, कर‑संरचना में सुधार कर निवेश को प्रोत्साहित करना. इस बजट में कृषि सॉलिडरिटी, स्वास्थ्य बीमा विस्तार और शहरी बुनियादी ढाँचे के लिए नई फंडिंग का प्रावधान है. साथ‑ही-साथ, GST स्लैब में हल्का समायोजन और आयकर में छूट बढ़ाने का सिलसिला जारी रहेगा, जिसका असर निजी उपभोग और निवेश दोनों पर पड़ेगा.
एक और महत्वपूर्ण संबंध है बजट और आर्थिक विकास के बीच. जैसा कि हम अक्सर कहते हैं, "बजट आर्थिक विकास को दिशा देता है". इस बजट में 7.5 ट्रिलियन रुपये का राजस्व लक्ष्य रखा गया है, जबकि खर्च 15 ट्रिलियन रुपये तक पहुंचेगा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 8% बढ़त दिखाता है. इस वृद्धि से शिक्षा, स्वास्थ्य और हाई‑टेक क्षेत्रों में नई नौकरियों की संभावनाएँ बनेंगी, जबकि बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं से निर्माण और निर्यात दोनों को धक्का मिलेगा.
वित्त मंत्रालय ने यह भी बताया कि इस वर्ष बजट में "डिजिटल इकोनॉमी" पर विशेष जोर दिया गया है. इसका मतलब है कि स्टार्ट‑अप फंडिंग, टेक इन्फ्रास्ट्रक्चर और साइबर‑सुरक्षा में अतिरिक्त राशि आवंटित की गई है. ये पहलें केवल टैक्स संग्रह बढ़ाने में मदद नहीं करेंगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को भी भारत में भरोसा दिलाएँगी.
सारांश में, केंद्रीय बजट 2024 यह दर्शाता है कि राजस्व‑खर्च‑कर के त्रिकोण को कैसे संतुलित किया जा रहा है, ताकि आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण दोनों को गति मिले. नीचे आप विभिन्न लेखों में इस बजट के विभिन्न पहलुओं – कर सुधार, सामाजिक योजनाएँ, उद्योग प्रोत्साहन और वैश्विक तुलना – की विस्तृत चर्चा पाएँगे. इन लेखों के माध्यम से आप यह समझ पाएँगे कि बजट की छोटी‑छोटी डिटेल्स आपके रोज़मर्रा के फैसलों को कैसे प्रभावित करती हैं.