भाजपा की सीबीआई जांच की अडिग मांग
भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक के निर्माणकर्ता सचिन पंचाल की रहस्यमय मौत के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की अपनी मांग को फिर से जोर शोर से उठाया है। पंचाल की मृत्यु को आत्महत्या माना जा रहा है, जिन्होंने दिसंबर 26 को बीदर जिले में एक ट्रेन के सामने कूदकर अपनी जान दे दी थी। इस घटना ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है और विपक्षी दल भाजपा ने इसे सरकार पर हमला करने का बड़ा मुद्दा बना लिया है।
आरोपों की पृष्ठभूमि
सचिन पंचाल के निधन के बाद, उनकी एक चिट्ठी ने इस मामले को और भी जटिल बना दिया। इस चिट्ठी में पंचाल ने कर्नाटक के ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री प्रियंक खड़गे के एक करीबी पर रिश्वत मांगे जाने और धमकी देने का आरोप लगाया। इस आरोप ने मंत्री के पद और प्रतिष्ठा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भाजपा का तर्क है कि जब मंत्री के सहयोगियों के खिलाफ ऐसे आरोप लग रहे हैं, तो मंत्री स्वयं को इसके दायरे से बाहर नहीं रख सकते।
भाजपा का दावा
भाजपा ने सिर्फ सीबीआई जांच की मांग ही नहीं की, बल्कि यह भी कहा कि खड़गे को इस मामले में नैतिक आधार पर इस्तीफा देना चाहिए। विपक्ष के नेता आर अशोक का कहना है कि मंत्री की जिम्मेदारी है कि वे अपने सहयोगियों की हरकतों के लिए भी जवाबदेह हों। पंचाल की मृत्यु से पहले लिखी गई उनकी चिट्ठी में जिन घटनाओं का उल्लेख है, वे साफ तौर पर सरकारी सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार और दुरुपयोग को उजागर करती हैं।
मंत्री प्रियंक खड़गे का पक्ष
दूसरी ओर, प्रियंक खड़गे ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि इस मसले में उनके खिलाफ बहुत स्पष्ट सबूत नहीं हैं। उनका कहना है कि उस चिट्ठी की सत्यता को भी प्रमाणित नहीं किया गया है और उसमें उनका नाम नहीं है। खड़गे का कहना है कि यह आरोप उनके खिलाफ एक राजनीतिक चाल हो सकती है। उन्होंने इस विषय पर शास्त्रग्राम न्याय और निष्पक्षता की बात की है।
आगे की स्थिति
इस मामले में भाजपा की आक्रामकता आगे भी जारी रहने वाली है। भाजपा नेता नेता चंदू पाटिल ने खड़गे के सहयोगी रजू कपनूर और पांच अन्य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। भाजपा ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर गौर नहीं किया गया तो वे जनवरी में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास का घेराव करेंगे। भाजपा की यह मांग राज्य की राजनीति में कई भूराजनीतिक शक्तियों और उलझनों को बढ़ाने का कारण बन रही है।
राजनीतिक तनाव का बढ़ता स्तर
कर्नाटक की राजनीति पहले से ही विभिन्न मुद्दों पर अपने चरम पर है, और इस तरह के मामलों ने इसमें और तनाव जोड़ दिया है। मंत्री का इस विवाद में नाम जुड़ने के कारण राज्य की राजनीतिक स्थिति अस्थिर हो गई है। राज्य भर में विपक्ष इस मामले को जोर-शोर से उठाकर सरकार पर और भी दबाव बनाने की कोशिश में है। भविष्य में इस मामले का कैसे समाधान होगा और यह कैसे राज्य की राजनीति को प्रभावित करेगा, यह देखना बहुत ही दिलचस्प होगा। यह निश्चित है कि इस विषय ने राज्य में कई सारे मुद्दों को जन्म दे दिया है, जो आने वाले महीनों में चर्चा का विषय बने रहेंगे।
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