यथार्थवादी दृष्टिकोण से भारत का विकास
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंथ नागेश्वरन ने हाल ही में प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में स्पष्ट किया कि 'यथार्थवाद को ही नीति मंत्र बनाना होगा' ताकि भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को बनाए रखा जा सके। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में प्रस्तुत इस सर्वेक्षण में आगामी वित्तीय वर्ष के लिए देश की GDP वृद्धि दर 6.5% से 7% तक अनुमानित की गई है। यह सर्वेक्षण दर्शाता है कि अगर हम अपने मौजूदा संरचनात्मक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करें, तो अर्थव्यवस्था 7% या इससे अधिक की दर से निरंतर बढ़ सकती है।
संरचनात्मक सुधारों का महत्व
आर्थिक सर्वेक्षण ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि भारत के समग्र विकास के लिए संरचनात्मक सुधार अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन सुधारों के माध्यम से अर्थव्यवस्था को एक नए ऊँचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है। सर्वेक्षण में सुझाव दिया गया है कि केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और निजी क्षेत्र के त्रिपक्षीय सहयोग से इसे संभव बनाया जा सकता है। यह सामंजस्य ही देश को एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में 2047 तक ले जा सकता है।
उद्योग और रोजगार उत्पन्न करने का लक्ष्य
सर्वेक्षण में कई प्रमुख नीति क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है, जिनमें से एक प्राथमिकता क्षेत्र है – रोजगार सृजन। देश की रोजगार समस्या को हल करने के लिए उत्पादक रोजगार उत्पन्न करना आवश्यक है। इसके साथ ही, कौशल अभाव को दूर करना और कृषि क्षेत्र की पूरी क्षमता का उपयोग करना भी आवश्यक है।
कृषि और MSME के क्षेत्र में सुधार
कृषि क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता को भी सर्वेक्षण ने प्रमुखता से उठाया है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के बिना संपूर्ण आर्थिक विकास संभव नहीं है, इसलिए कृषि क्षेत्र की पूरी प्रभावशीलता को बढ़ाना आवश्यक है। इसके अलावा, लघु और मध्यम उद्योगों (MSME) में विद्यमान समस्याओं का समाधान भी करना होगा ताकि इस क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाई जा सके।
हरित संक्रमण और चीनी समस्या
भारत के हरित संक्रमण को संभालने के लिए भी विशिष्ट योजनाएं बनाना महत्वपूर्ण है। हरित ऊर्जा के उपयोग और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने से हमारा देश एक स्थायी विकास पथ पर अग्रसर हो सकता है। इसी के साथ चीनी समस्या से निपटने के लिए भी भली-भांति योजनाएं बनाना आवश्यक है ताकि हम अपने आयात और निर्यात के संतुलन को बनाए रख सकें।
कार्पोरेट बॉन्ड बाजार और असमानता
सर्वेक्षण ने यह भी जाहिर किया है कि देश के कार्पोरेट बॉन्ड बाजार को गहरा करना जरूरी है ताकि इसका लाभ विभिन्न क्षेत्रों तक पहुंच सके। आर्थिक असमानता की समस्या को हल करने के लिए भी कई योजनाएं समय पर लागू करनी होंगी।
स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश
युवा जनसंख्या का स्वास्थ्य स्तर सुधारने और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए भी विशेष ध्यान देना होगा। युवा हमारी देश की असली पूंजी हैं, और उनके स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश करना जरूरी है।
विपत्तियों और जोखिम का सामना
आर्थिक सर्वेक्षण ने कई जोखिमों को लेकर भी चेतावनी दी है। मानसून की लगातार बारिश, वैश्विक पर्यावरणीय और भू-राजनीतिक जोखिम, वित्तीय बाजारों में संभावित गिरावट, और अमेरिका में चुनाव परिणाम और उनके वैश्विक व्यापार और निवेश पर प्रभाव जैसे कारकों को भी ध्यान में रखा जाना आवश्यक है।
हालांकि इन चुनौतियों के बावजूद, यह भी सत्य है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने महामारी पूर्व के GDP वृद्धि स्तर को पार कर लिया है और यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में बनी हुई है। घरेलू विकास के चालकों ने वित्तीय वर्ष 2024 में भी अस्थिर वैश्विक आर्थिक प्रदर्शन के बावजूद आर्थिक विकास को समर्थन दिया है। सुधरे हुए संतुलन पत्रों से निजी क्षेत्र को निवेश की मजबूत मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।
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