पश्चिम यूपी में जोरदार बरसात, 15 जिलों पर अलर्ट; लखनऊ में फिर गड़गड़ाहट के साथ बारिश
उत्तर प्रदेश में मॉनसून ने रफ्तार पकड़ ली है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 1 सितंबर 2025 को पश्चिमी और मध्य यूपी के 15 जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जबकि राजधानी लखनऊ में येलो अलर्ट है। संकेत साफ है—2 सितंबर तक कई जगह तेज़ बारिश और गरज-चमक के साथ बौछारें चलती रहेंगी।
रविवार को लखनऊ में गरज के साथ अच्छी बारिश हुई, जिससे उमस और गर्मी से राहत मिली। सोमवार और मंगलवार को भी आसमान बादलों से ढका रहने का अनुमान है और मध्यम से तेज़ बारिश के दौर बन सकते हैं। बिजली चमकने और आंधी के दौर भी दिख सकते हैं, इसलिए खुले मैदान, पेड़ों के नीचे और पानी भरे इलाकों से दूरी रखना बेहतर है।
लखनऊ में इस मॉनसून की परफॉर्मेंस औसत से ऊपर है। सिर्फ अगस्त में 307.8 मिमी बारिश दर्ज हुई, जो मासिक औसत 202 मिमी से 52% ज्यादा है। मॉनसून 2025 के दौरान अब तक 542.7 मिमी बारिश हो चुकी है—यह सामान्य 519.3 मिमी से लगभग 5% अधिक है। तापमान में भी गिरावट दिखी है: हालिया दिनों में अधिकतम 33.7°C और न्यूनतम 27.2°C रहा। सोमवार के लिए अधिकतम करीब 31°C और न्यूनतम 26°C का अनुमान है।
जिन जिलों में ऑरेंज अलर्ट है, वे हैं—लखीमपुर खीरी, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, संभल और बदायूं। इन इलाकों में व्यापक भारी से बहुत भारी बारिश के साथ कुछ जगह अत्यधिक भारी बारिश की संभावना जताई गई है।
बिजनौर ने अगस्त में सबसे ज्यादा बरसात दर्ज की—लगभग 663.5–663.6 मिमी, जो सामान्य से 113% अधिक है। राज्य स्तर पर 1 जून से अगस्त के अंत तक औसत 593.1 मिमी बारिश रिकॉर्ड हुई, जो सामान्य से करीब 2% कम है। वहीं अगस्त में पश्चिमी यूपी में 237.6 मिमी (4% ज्यादा) और पूर्वी यूपी में 244 मिमी (1% ज्यादा) दर्ज हुआ। अलग-अलग हिस्सों में बड़ी असमानता दिखी—कुछ क्षेत्रों में 417.9 मिमी तक रिकॉर्डिंग हुई, जो सामान्य से लगभग 53% ऊपर रही।

सिस्टम क्यों सक्रिय, अलर्ट का मतलब क्या और लोगों को क्या करना चाहिए
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक तेज़ बारिश का मुख्य कारण मध्य प्रदेश के ऊपर बना चक्रवाती परिसंचरण है, जो धीरे-धीरे यूपी की तरफ खिसक रहा है। इसके साथ उत्तर पाकिस्तान और पंजाब के ऊपर मौजूद पश्चिमी विक्षोभ और एक अन्य चक्रवाती परिसंचरण मिलकर असर बढ़ा रहे हैं। यही वजह है कि मॉनसून ट्रफ उत्तर की ओर सरक गई है और यूपी में बारिश की तीव्रता बढ़ी है।
आइएमडी के रंग-कोडेड अलर्ट का मतलब सरल है—येलो: अपडेट रहें और सामान्य सावधानी रखें; ऑरेंज: तैयारी बढ़ाएं, मौसम बिगड़ सकता है; रेड: तुरंत कार्रवाई करें, स्थिति गंभीर हो सकती है। बारिश की श्रेणियां भी तय हैं—64.5 से 115.5 मिमी को भारी, 115.6 से 204.4 मिमी को बहुत भारी और 204.5 मिमी या उससे ज्यादा को अत्यधिक भारी बारिश माना जाता है।
तेज़ बारिश का सबसे पहला असर निचले इलाकों में जलभराव, स्कूल-कॉलेज के आने-जाने में दिक्कत, और ट्रैफिक जाम के रूप में दिखता है। पश्चिम यूपी के कई जिलों—मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर बेल्ट—में शुगर मिल और मंडी क्षेत्र जलभराव के प्रति संवेदनशील रहते हैं। मुरादाबाद, रामपुर, बरेली और पीलीभीत में नदियों के जलस्तर पर नजर रखने की जरूरत होगी। बार-बार की तेज़ बौछारें ग्रामीण सड़कों पर कटाव और शहरों में ड्रेनेज ओवरलोड का खतरा बढ़ाती हैं।
कृषि पर असर दोहरा होता है—कपास, गन्ना और धान को समय पर बारिश फायदा देती है, लेकिन बहुत भारी बारिश लंबी अवधि तक जारी रही तो जलभराव से रोग लगने का खतरा बढ़ता है। खेतों की मेड़ मजबूत रखने, अतिरिक्त पानी की निकासी के लिए नालियां साफ कराने और कटाई के पास पहुंची फसलों को तिरपाल/शेड से सुरक्षित रखने की सलाह दी जा रही है।
लखनऊ और आसपास के शहरों में नगरपालिका और बिजली विभाग ने पानी निकासी और फॉल्ट रिस्पॉन्स के लिए टीमें बढ़ाई हैं। जलनिकासी पंपिंग स्टेशनों पर 24x7 ड्यूटी, पेड़ों की कटिंग और लो-लाइंग पॉकेट्स में डी-वॉटरिंग मोबाइल यूनिट्स तैनात करने की कवायद जारी है। शहरी इलाकों में जहां सीवर ओवरफ्लो का इतिहास रहा है, वहां कंटिन्जेंसी प्लान सक्रिय किया जा रहा है ताकि बारिश के पीक घंटों में सड़कें न जाम हों।
यात्रियों के लिए सबसे बड़ी सलाह—यात्रा से पहले रूट की स्थिति जांचें, पानी भरी सड़कों पर वाहन न उतारें, अंडरपास से बचें। दुपहिया चालक एंटी-स्किड ब्रेकिंग और रेन-गियर का इस्तेमाल करें, और गड्ढों के पास स्पीड घटाएं। बिजली कड़कने के दौरान मोबाइल चार्जर/धातु फ्रेम के पास खड़े होने से बचें, ओपन फील्ड में छाता लेकर न खड़े हों।
घर-परिवार के लिए बेसिक चेकलिस्ट भी काम आती है:
- छत की नालियां और ड्रेनेज पॉइंट्स साफ रखें, बैक-फ्लो रोकने के लिए जाली/कवर लगाएं।
- बच्चों और बुजुर्गों की गैर-जरूरी बाहर आवाजाही सीमित रखें, खासकर गरज-चमक के समय।
- जरूरी दवाएं, टॉर्च, पावर बैंक और पीने का पानी स्टॉक में रखें।
- प्लास्टिक कूड़ा खुले में न छोड़ें—यह नालियां जाम करता है।
- किसानों के लिए: खेत की मेड़ दुरुस्त करें, बीज/खाद सूखी जगह रखें, पशुओं के लिए सूखे चारागाह का इंतजाम करें।
स्कूलों और कार्यालयों में पिक-ऑवर के समय भारी बारिश हुई तो बस रूट बदलने, स्टैगर्ड टाइमिंग और वर्क-फ्रॉम-होम जैसे विकल्पों पर स्थानीय प्रशासन फैसला ले सकता है। नागरिकों के लिए सलाह है कि आधिकारिक बुलेटिन पर नजर रखें और अनौपचारिक अफवाहों से बचें।
आगे के ट्रेंड पर नजर डालें तो आइएमडी ने सितंबर में मध्य यूपी, खासकर लखनऊ और आसपास के जिलों के लिए औसत से ज्यादा बारिश की संभावना जताई है। इसका मतलब है कि राहत और रुकावट, दोनों साथ-साथ चलेंगे—एक तरफ तापमान काबू में रहेगा, दूसरी तरफ बीच-बीच में तेज़ दौर जलभराव और ट्रैफिक पर दबाव बना सकते हैं। फिलहाल फोकस यही है: अगले 24–36 घंटों में पश्चिम और मध्य यूपी में तेज़ बारिश, और लखनऊ में गरज-चमक के साथ बौछारें—तैयारी रखें, सतर्क रहें।
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