वेस्टइंडीज पर चमत्कारी जीत, फिर भी सेमीफाइनल में मुश्किलें
भारत चैम्पियंस की टीम ने WCL 2025 के सेमीफाइनल में जगह बनाकर क्रिकेट फैंस को चौंका दिया है। लीग स्टेज का आखिरी मैच वेस्टइंडीज चैम्पियंस के खिलाफ था, जिसमें भारत को 145 रन चेज करने थे—ऐसी पिच पर, जहां बल्लेबाज़ पहले ही बुरी तरह फेल हो चुके थे। लेकिन इस बार कहानी ही बदल गई। टीम ने 5 विकेट रहते सिर्फ 14 गेंद बाकी रहते रन हासिल कर लिए। सेमीफाइनल का टिकट लगभग नामुमकिन लग रहा था, लेकिन इस जीत ने सब पलट दिया। नेट रन रेट के चलते भारत ने इंग्लैंड चैम्पियंस को बाहर कर दिया—दोनों के एक जितने पॉइंट्स थे, लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ 'नो-रिजल्ट' मैच से मिला एक पॉइंट निर्णायक बना।
टीम का सफ़र शानदार कमबैक की मिसाल बन गया। चार मैचों में तीन हार और फिर आखिरी मैच में जीत... सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गज भी बोले, "क्रिकेट को बाहर की चीज़ों से दूर रखें।" हालांकि, कई दिग्गज जैसे वीरेंद्र सहवाग ने जोरदार समर्थन दिया कि 'राष्ट्र भावना' मनोरंजन से ऊपर है।
भारत-पाकिस्तान सेमीफाइनल: बायकॉट और विवाद
अब सबसे बड़ा सवाल आया—क्या भारत चैम्पियंस पाकिस्तान चैम्पियंस के खिलाफ खेलेंगे? भारत ने आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ किसी भी द्विपक्षीय खेल संबंध को ठुकरा दिया है। लीग स्टेज में ही भारत-पाक मैच बिना खेले ही 'नो-रिजल्ट' करार दिया गया था। जैसे ही सेमीफाइनल में आमना-सामना तय हुआ, बड़े भारतीय खिलाड़ियों—युवराज सिंह, हरभजन सिंह, शिखर धवन, इरफान पठान—ने टीम से नाम वापस ले लिया।
बीसीसीआई ने साफ कह दिया कि कुछ राष्ट्रीय प्राथमिकताएं खेल से भी ऊपर होती हैं। बोर्ड का रूख सरकार की नीति के साथ है—कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान से दूरी बनाए रखना। इसी के चलते पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने भी बयान जारी कर दिया, "हम भारत चैम्पियंस के फैसले का सम्मान करते हैं। जो टीम खेलना चाहती है, उसी को मौका मिलना चाहिए।" नतीजतन, भारत का सेमीफाइनल मुकाबला रद्द हो गया और पाकिस्तान बिना खेले ही फाइनल में पहुंच गया।
एबी डिविलियर्स की अगुवाई वाली दक्षिण अफ्रीका चैम्पियंस टीम भी फाइनल की प्रबल दावेदार है। टॉप स्पॉन्सर तो पहले ही घोषणा कर चुका था कि भारत-पाक मैच हुआ तो वे समर्थन वापस ले लेंगे, क्योंकि 'कुछ चीज़ें खेल से भी बड़ी होती हैं'। इससे एक आर्थिक संकट तो टल गया, लेकिन साफ हो गया कि खेल और राजनीति का टकराव कितना गहरा है।
भारत की जबरदस्त वापसी के बावजूद, सेमीफाइनल के बायकॉट ने देश और दुनिया में क्रिकेट और राजनीति के रिश्तों पर बहस को फिर हवा दे दी है। फैंस, खिलाड़ियों और आयोजकों के लिए यह सिर्फ एक टूर्नामेंट का फैसला नहीं—बल्कि खेल की आत्मा और राष्ट्रीय नीति के बीच जंग का नया दौर भी बन गया है।
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