सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच का हिंडनबर्ग के आरोपों पर सख्त जवाब
हाल ही में सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों पर विस्तृत प्रतिक्रिया दी है। यह आरोप 10 अगस्त 2024 को प्रकाशित हुए थे, जिसमें दावा किया गया था कि माधबी पुरी बुच का अडानी समूह से जुड़े विदेशों में कंपनियों में हित था, जिससे संभावित हितों के टकराव और नियामक अनियमितताओं की चिंता उत्पन्न हुई थी। लेकिन इन सभी आरोपों को बुच दंपत्ति ने बेबुनियाद बताया है।
हिंडनबर्ग के आरोप और बुच दंपत्ति का जवाब
हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद, माधबी पुरी बुच और उनके पति ने एक विस्तृत बयान जारी कर आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका कोई भी निवेश अडानी समूह से संबंधित नहीं है। बुच दंपत्ति ने बताया कि उन्होंने आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट द्वारा प्रवर्तित एक फंड में 2015 में निवेश किया था, जो कि माधबी पुरी बुच के सेबी में शामिल होने से दो साल पहले था।
यह निवेश धवल बुच के बचपन के मित्र अनिल आहूजा की सलाह पर किया गया था, और इस फंड ने कभी भी अडानी समूह की किसी कंपनी में निवेश नहीं किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि धवल बुच की ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में नियुक्ति उनकी सप्लाई चेन मैनेजमेंट विशेषज्ञता के कारण हुई थी, और किसी भी संभावित हितों के टकराव को रोकने के लिए ब्लैकस्टोन को माधबी पुरी बुच की रिक्यूजल सूची में डाला गया था।
व्यक्तिगत और प्रतिष्ठागत आरोपों पर बचाव
बुच दंपत्ति ने हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों को 'चरित्र हनन' बताया और कहा कि यह सेबी की विश्वसनीयता को हिलाने की कोशिश है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सेबी ने पिछले दो वर्षों में 300 से अधिक परिपत्र जारी किए हैं, और सभी नियामक निर्णय सेबी के बोर्ड द्वारा अनुमोदित होते हैं।
अपने बयान में, बुच दंपत्ति ने सभी वित्तीय खुलासों और रिक्यूजल्स को ईमानदारी से पालन करने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने यह भी कहा कि वे पारदर्शिता के लिए प्रतिबद्ध हैं और आर्थिक मामलों में हमेशा सावधानी बरतते हैं।
नियामक और पारदर्शिता की अहमियत
समझा जाए कि नियामक संस्थान पर लगे ऐसे आरोपों का प्रभाव उसके कामकाज पर सीधा पड़ सकता है। ऐसे में माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने एकजुट होकर जवाब देने का फैसला किया, ताकि इन आरोपों का सटीक और विस्तृत खंडन हो सके।
सेबी जैसी संस्थाओं में कोई भी विवाद या आरोप जल्द ही बड़े मुद्दे बन जाते हैं, इसलिए संस्थान की पारदर्शिता और प्रतिबद्धता को बनाए रखना जरूरी है। बुच दंपत्ति का यह स्पष्ट जवाब न केवल उनके व्यक्तिगत सम्मान की रक्षा करता है, बल्कि सेबी की सार्वभौमिकता और साख को भी बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
निष्कर्ष
इस पूरे मामले ने यह दिखाया कि जब आरोपी व्यक्ति अपने पक्ष को पूरी ईमानदारी और सजीवता के साथ पेश करते हैं, तो इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। माधबी पुरी बुच और धवल बुच ने हिंडनबर्ग के आरोपों का जिस तरह का जवाब दिया है, वह न केवल उनके निजी जीवन की पारदर्शिता को दर्शाता है, बल्कि सेबी जैसी महत्वपूर्ण संस्था की विश्वसनीयता को भी मजबूती प्रदान करता है।
आगे चलकर इस मामले से जुड़े सभी पहलुओं का विश्लेषण और समाधान जरूरी होगा, ताकि इस तरह के अन्य आरोपों का मजबूती से सामना किया जा सके और सेबी जैसी संस्थाओं की विश्वसनीयता को बनाए रखा जा सके।
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