फिल्म 'देवा' का परिचय: जब विद्रोही पुलिसवाला लेता है भ्रष्टाचार की जड़ों पर हमला
रोशन एंड्रयूज द्वारा निर्देशित फिल्म 'देवा' एक ऐसी कहानी है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ एक विद्रोही पुलिसवाले की यात्रा का चित्रण करती है। इस फिल्म में शाहिद कपूर ने मुख्य भूमिका निभाई है, जिसे देखकर स्पष्ट होता है कि वे इस प्रकार की विद्रोही भूमिकाओं में कितने सहज हैं। फिल्म की कहानी एक अनोखे अंदाज में प्रस्तुत की गई है, जो दर्शकों को लगातार बांधे रखती है।
शुरुआत में ही धम्माकेदार एक्शन
फिल्म की शुरुआत में हम शाहिद कपूर को देवा अंब्रे के रूप में देखते हैं, जब वह बाइक पर सवार होकर एक मिशन पर निकलते हैं। यह एक्शन से भरपूर दृश्य दर्शकों को अपनी सीट से उठा देता है। यद्यपि एक दुर्घटना के बाद देवा की स्मृति चली जाती है, लेकिन आगे उन्हें नए रहस्यों का सामना करना पड़ता है।
गंगस्टर और राजनीतिक साजिशें
फिल्म की कहानी उस समय मोड़ लेती है जब गंगस्टर प्रभात जाधव येरवडा जेल से फरार हो कर शहर में आतंक मचाते हैं। इसके अलावा, नेता अपटे के सत्ता के खेल में उत्पन्न हुई उथल-पुथल देवा के लिए एक नई चुनौती बन जाती है। यह राजनीति और अंडरवर्ल्ड के बीच की जटिलताओं को दर्शाती है।
विद्रोही व्यवहार की मनोवैज्ञानिक जांच
फिल्म के माध्यम से देवा के विद्रोही स्वाभाव का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया गया है, जो उसके क्रोध के पीछे के कारणों को उजागर करता है। समाज में व्याप्त अन्याय और व्यक्तिगत स्वयं के अनुभव कैसे एक आदमी को विद्रोही बना सकते हैं, यह फिल्म में प्रमुखता से दिखाया गया है।
महिला पात्रों की सीमित भूमिका
हालांकि फिल्म में कई महिला पात्र हैं, जैसे कुब्रा सैत और पूजा हेगड़े, उनकी भूमिकाएं फिल्म में सीमित हैं। पूजा हेगड़े के किरदार दिया का देवा के जीवन में महत्व है, लेकिन उनकी उपस्थिति केवल कुछ खास लम्हों तक ही सीमित है।
शाहिद कपूर का अंदाज और डांस
शाहिद कपूर की 'अंग्री यंग मैन' के रूप में दमदार प्रस्तुति देखने काबिल है। उनकी करिश्माई निर्जनता और नृत्य दर्शकों को खासा प्रभावित करती हैं। इस फिल्म में शाहिद का रुझान अपने स्थान को विषयगत स्तर पर पहुंचाता है, जिससे यह एक तार्किक फिल्म बन जाती है।
विलक्षण प्लॉट ट्विस्ट और निर्देशन
फिल्म की कहानी धीरे-धीरे एक निश्चित दिशा में बढ़ती है लेकिन दूसरे हाफ में ताजगी का अनुभव करती है। फिल्म के प्लॉट ट्विस्ट इतने प्रभावी हैं कि वे दर्शकों को कुर्सी से चिपकाए रखते हैं। इसके निर्देशन में ऐसी बारीकियाँ हैं जो इसे एक अच्छी एक्शन फिल्म का उदाहरण बनाती हैं।
संगीत और गानों की मिठास
फिल्म के गाने एवम् संगीत भी इसके महत्वपूर्ण हिस्से हैं। यह दर्शकों के मूड को सजीव बनाता है और फिल्म का आनंद उठाने में मदद करता है। शाहिद के नृत्यों का जादू गानों के साथ दर्शकों के दिलों को ही गेंद देता है।
फिल्म की समीक्षा और निष्कर्ष नहीं, बल्कि भावनाओं का संग्रह
कुल मिलाकर, 'देवा' दर्शकों को एक नई सोच प्रदान करने वाली फिल्म है जो भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देती है। फिल्म की समीक्षा इसे दर्शकों और आलोचकों के बीच मिली-जुली प्रतिक्रिया प्रदान करती है, जिसने इसे 5 में से 3 स्टार दिए हैं।
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