घटना की पृष्ठभूमि और साधारण जीवन
गुरुग्राम के सुसंत लोकेशन, सेक्टर 57 में स्थित अपना घर, जहाँ 25‑ वर्षीया राधिका यादव ने अपने जीवन के अंतिम अध्याय को लिखा, वह एक छोटा, शांत‑सुथरा पड़ोस था। राधिका एक प्रतिभाशाली टेनिस खिलाड़ी थीं, जिनका ITF रैंक 1999 था और उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय जूनियर सर्किट में 36 सिंगल्स और 7 डबल्स मैच खेले। शोल्डर के जख्म के बाद उन्होंने प्रतियोगितात्मक खेल से कदम हटाकर कोचिंग की दिशा में रुख किया और अपने टेनिस अकादमी को चलाने लगीं।
उनकी अकादमी स्थानीय बच्चों को टेनिस सिखाने के साथ ही राधिका को आर्थिक स्वावलंबन का साधन भी बन गई। लेकिन यह स्वतंत्रता उनके पिता दीपक यादव के लिए सहन करने योग्य नहीं थी। दीपक, जो छोटे‑मोटे किराए के मकानों से आय कमा रहे थे और पहले कार पार्ट्स की दुकान बंद कर चुके थे, को घर की चलती‑फिरती आर्थिक स्थिति पर लगातार आहत किया जाता रहा। पड़ोसियों की टिप्पणियों में अक्सर कहा जाता था कि "घर की रौनक राधिका की आय पर टिकी है"।
जांच की मुख्य बातें और चार्जशीट की तैयारी
पुलिस ने घटना के बाद विस्तृत फॉरेंसिक जाँच की। रिपोर्टों के मुताबिक दीपक ने अपने पिता के नाम पर पंजीकृत .32 बोर रिवॉल्वर से पाँच बार गोली चलायी, जिसमें चार गोलियां राधिका के शरीर पर लगीं—तीन पीठ में और एक कंधे में। जलती हुई सुबह राधिका जब नाश्ता बना रही थीं, तभी उन्हें गोली मारी गई और तुरंत निजी अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनका निधन हो गया।
भवन में खोजी गई बंदूक, वारंट‑डॉक्युमेंट्स, और गोली के निशान सभी का मिलान फॉरेंसिक रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से दिखाया गया। गवाहों ने बताया कि दीपक ने पहले ही कई बार राधिका को अकादमी बंद करने के लिए कहा था, पर वह इनकार कर देती थीं। इस बात की पुष्टि दीपक ने खुद ही पुलिस के सामने अपनी स्वीकृति में की—"मैंने तीन बार पीछे से गोली मारी क्योंकि उसने मेरे कहे को नहीं माना"। इससे केस को "ओपन एंड शट" कहा गया।
- वस्तुस्थिति: घर का पतला रसोईघर, सुबह 8‑10 बजे के समय।
- फ़ायरआर्म: .32 बोर रिवॉल्वर, दीपक यादव के नाम पर पंजीकृत।
- गोलियों की संख्या: पाँच, जिसमें चार मारती रही।
- जांच के प्रमुख साक्ष्य: फ़ॉरेंसिक बूलियन, स्वीकृति बयान, वैध लाइसेंस।
राधिका की मित्र हिमांशीका सिंह राजपूत ने सोशल मीडिया पर भावनात्मक वीडियो साझा किए, जिसमें उन्होंने बताया कि राधिका को "ऑर्थोडॉक्स" परिवार से कई सीमाएं झेलनी पड़ती थीं। वह अक्सर छोटे कपड़े पहनने या लड़कों से बात करने पर माता‑पिता द्वारा डांटा जाता था। इस प्रकार के दबाव ने राधिका की मनोवैज्ञानिक स्थिति को और भी बिगाड़ दिया।
ह्याद्रा टेनिस एसोसिएशन की सीईओ सुमन कपूर ने बताया कि राधिका एक अनुशासित और दृढ़ खिलाड़ी थीं। राष्ट्रीय खेलों में उनका नाम तो शायद पेडल नहीं था, पर उनका काम करने का अंदाज़ और युवा टैलेंट को सिखाने का जज्बा कई लोगों को प्रेरित करता था।
पुलिस की जांच में माँ का बयान, परिवार के अन्य सदस्यों की गवाही और पोस्ट‑मॉर्टेम रिपोर्ट को भी शामिल किया गया। सभी साक्ष्य मिलाकर यह स्पष्ट हो गया कि पिता की ही कृति इस भयानक हत्या की मूल वजह है। अगला कदम चार्जशीट दाखिल करना है, जिसमें दीपक यादव के खिलाफ हत्या, इरादतन हत्या, हथियार के कब्जे में अनधिकारिता इत्यादि आरोप लगाए जाएंगे।
समाज में इस केस को लेकर महिला स्वतंत्रता, पारिवारिक नियंत्रण और सामाजिक दबाव पर गहरी बहस छिड़ गई है। कई एक्टिविस्टों ने ऑनलाइन समर्थन में आयी "पिता के समर्थन" जैसी टिप्पणियों की निंदा की, जबकि कुछ ने पारिवारिक कल्याण के मुद्दे को रेखांकित किया। इस तरह के मामले एक बार फिर यह सवाल उठाते हैं कि किस हद तक परिवार का अधिकार व्यक्तिगत अधिकारों के ऊपर रखा जा सकता है।
एक टिप्पणी लिखें