बाजार की मुख्य चालें
25 सितंबर को भारतीय शेयर बाजार ने पाँचवीं लगातार गिरावट देखी। BSE Sensex 556 अंक गिरकर 80,426 पर आया, जबकि NSE Nifty 236 अंक की गिरावट के बाद 24,655 पर बंद हुआ, यानी 24,900 के महत्वपूर्ण समर्थन स्तर से नीचे चला गया। यह गिरावट सिर्फ संख्यात्मक नहीं, बल्कि कई बुनियादी कारणों का परिणाम थी।
सबसे बड़े विक्रयकर्ता रहे वित्तीय और आईटी कंपनियां। विदेशियों (FII) की निरंतर निकासी ने बाजार को निचले स्तर पर धकेल दिया। साथ ही, यू.एस. में संभावित वीज़ा नीति बदलाव को लेकर आईटी फर्मों में अनिश्चितता बनी रही, जिससे उनके स्टॉक में तेज़ गिरावट देखी गई।
सेक्टर्स की स्थिति को एक नजर में समझने के लिए:
- आईटी – लगातार बेचना, यू.एस. वीज़ा प्रतिबंधों का डर
- वित्तीय – विदेशी पूँजी बहिर्गमन, RBI की नीतियों पर सतर्कता
- फार्मा – वैश्विक रेवेन्यू दबाव, कम उत्पादन उम्मीदें
- धातु – घटती मांग, निर्यात में गिरावट
- रियल एस्टेट – बाकी सेक्टरों के विरुद्ध हल्का उलटा रुख
मिड-कैप स्टॉक्स ने बड़े‑कैप की तुलना में तेज़ गिरावट दर्ज की, जो बाजार के व्यापक तनाव को दर्शाता है। ट्रेडिंग के आखिरी घंटे में तेज़ बिक्री ने माहौल को और खतरनाक बना दिया।
भविष्य की संभावनाएँ और बाहरी प्रभाव
आगे के लिए कई जोखिम कारक मौजूद हैं। अमेरिकी फेड ने ब्याज दर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की, जिससे सोना और चांदी जैसी कीमती धातुओं की कीमतें आसमान छू गईं—सोना ने इतिहासिक उच्च स्तर हासिल किया, जबकि चांदी ने 15 साल में सबसे ऊँचा स्तर छुआ। यह सुरक्षित संपत्तियों की मांग में वृद्धि को दिखाता है, पर साथ ही इक्विटी बाजार से पूँजी को दूर ले जाता है।
जैसे ही विदेशी निवेशकों की निकासी जारी रही, बाजार को समर्थन पाने में कठिनाई होगी। जेफ़रीज़ (Jefferies) ने फिर भी 2025 के अंत तक Nifty में लगभग 7% की संभावित उछाल की भविष्यवाणी की है, लेकिन यह अनुमान कई मान्यताओं पर आधारित है—जैसे कि वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार और नीति स्पष्टता।
तकनीकी विश्लेषकों ने कहा कि 24,900 के नीचे की ब्रेकडाउन छोटा नहीं है; अगर इससे नीचे का परीक्षण जारी रहा तो अगले प्रमुख प्रतिरोध स्तर 24,400 और 24,000 के आसपास देखे जा सकते हैं।
सार में, बाजार अभी भी कई अस्थिरताओं के बीच फँसा हुआ है—विदेशी पूँजी प्रवाह, अमेरिकी वीज़ा नियमन, और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता सभी मिलकर सत्र दर सत्र दबाव बना रहे हैं। निवेशकों को जोखिम प्रबंधन के साथ सतर्क रहना जरूरी है, जबकि संभावित समर्थन स्तरों पर नज़र रखना चाहिए।
एक टिप्पणी लिखें