26 जुलाई, 2025 को हरारे स्पोर्ट्स क्लब में, जब दक्षिण अफ्रीका के लिए आखिरी गेंद पर चार रन की जरूरत थी और एक विकेट बाकी था, तो न्यूजीलैंड के गेंदबाज़ ज़ाकरी फौल्केस ने एक छोटी सी लाइन डाली — और दुनिया ने सांस रोक दी। दक्षिण अफ्रीका की टीम ने 20 ओवर में 177/6 का स्कोर बनाया, जबकि न्यूजीलैंड ने 180/5 का टारगेट खड़ा किया था। तीन रन का अंतर। एक गेंद का फर्क। और न्यूजीलैंड ने अपनी टीम को ट्राई-सीरीज चैम्पियन बना दिया।
जीत का आधार: कॉनवे और रविंद्रा की अडिग जोड़ी
जब न्यूजीलैंड ने टॉस खो दिया और दक्षिण अफ्रीका ने पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया, तो लगा जैसे दक्षिण अफ्रीका की गेंदबाज़ी इस फाइनल को अपने हाथ में ले लेगी। लेकिन न्यूजीलैंड के बल्लेबाज़ों ने शुरुआत में धीमे रफ्तार से बल्लेबाज़ी की, फिर आखिरी आठ ओवर में ज़ोर लगा दिया। डेवन कॉनवे और रचिन रविंद्रा ने दोनों 47 रन बनाए — एक ने नियमित बल्लेबाज़ी के साथ, दूसरे ने एक्स्ट्रा कवर ड्राइव के साथ। उनकी जोड़ी ने न्यूजीलैंड को 180/5 तक पहुंचाया, जो आखिरी ओवर तक जीत का रास्ता बन गया।
दक्षिण अफ्रीका की चाहत और अचानक गिरावट
दक्षिण अफ्रीका की टीम ने शुरुआत में बहुत अच्छा शुरुआत की। डीवाल्ड ब्रेविस ने 17.2 ओवर में फौल्केस की एक फुलर गेंद को डीप एक्स्ट्रा कवर के ऊपर छक्का मार दिया — एक ऐसा शॉट जिसे क्रिकेट विश्लेषकों ने "बल्लेबाज़ की लंबी बांहों और टाइमिंग का बेहतरीन उपयोग" कहा। उसके बाद 17.4 ओवर में जॉर्ज लिंडे ने एक खूबसूरत पंच शॉट से चौका मारा। तब तक स्कोर 157/4 था। लग रहा था कि जीत तो दक्षिण अफ्रीका के हाथ में है।
लेकिन फिर बदल गया मौसम। दो विकेट तेज़ी से गिरे। एक लाइन बाउंड्री के बाद एक गेंद बाउंस करके बल्लेबाज़ के हाथ से लुढ़क गई। दूसरी गेंद पर बल्लेबाज़ ने बल्ला लगाने की कोशिश की, लेकिन गेंद उसके बाहरी एज से टकराकर विकेटकीपर के हाथों में चली गई। आखिरी ओवर शुरू हुआ — दक्षिण अफ्रीका को 24 रन चाहिए थे, लेकिन दो विकेट गिर चुके थे।
आखिरी ओवर: जिसे कोई भूल नहीं सकता
फौल्केस ने पहली गेंद पर एक लाइन बाउंड्री दी — बल्लेबाज़ ने एक रन लिया। दूसरी गेंद पर बल्लेबाज़ ने लगातार चौका मारा। तीसरी गेंद पर एक छोटा सा शॉट — रन नहीं, बल्कि एक विकेट। बल्लेबाज़ बाहर निकल गया। अब दक्षिण अफ्रीका को चार रन चाहिए थे, एक विकेट बाकी।
चौथी गेंद पर बल्लेबाज़ ने एक लंबा शॉट लगाया — लेकिन गेंद फिर से एज से टकराकर फिर विकेटकीपर के हाथों में चली गई। अब दक्षिण अफ्रीका को दो रन चाहिए थे, आखिरी दो गेंदें बाकी। पांचवीं गेंद पर बल्लेबाज़ ने एक रन लिया। छठी गेंद पर बल्लेबाज़ ने लगातार शॉट मारा — लेकिन गेंद फिर से एज से टकराकर बाउंड्री के बाहर निकल गई। आखिरी ओवर में बस तीन रन बने।
क्यों यह जीत इतनी खास है?
यह ट्राई-सीरीज ने दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के बीच लगातार चल रहे बढ़ते रिश्ते को दर्शाया। इससे पहले दोनों टीमों के बीच तीन टी20आई मैच हुए थे — दो न्यूजीलैंड के नाम, एक ड्रॉ। लेकिन यह फाइनल अलग था। इसमें न सिर्फ जीत थी, बल्कि एक जानलेवा अंत था।
इस जीत के बाद न्यूजीलैंड की टीम ने पिछले तीन साल में अपनी तीसरी बड़ी टी20 ट्रॉफी जीत ली। जबकि दक्षिण अफ्रीका के लिए यह दूसरा लगातार फाइनल हारना था — पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी वे एक रन से हार गए थे।
आगे क्या?
अगले महीने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन मैचों की सीरीज की तैयारी शुरू हो रही है। न्यूजीलैंड के कोच ने बताया कि आखिरी ओवर के बल्लेबाज़ों को बेहतर तैयार करने की जरूरत है। दक्षिण अफ्रीका के कप्तान रस्सी वैन डर डुसन ने अपने खिलाड़ियों के लिए नहीं, बल्कि अपने टीम के लिए आशा जताई — "हम नहीं हारे, हम सिर्फ एक गेंद अधिक चाहते थे।"
इतिहास का एक पन्ना
हरारे स्पोर्ट्स क्लब ने इस जीत को अपने इतिहास में एक नया अध्याय लिखा। यहां पहली बार एक टी20 फाइनल में इतनी करीबी जीत हुई। यह मैच न्यूजीलैंड के लिए उनकी दूसरी टी20 ट्राई-सीरीज जीत थी — पहली 2022 में भारत के खिलाफ थी।
इस जीत के बाद न्यूजीलैंड के लिए अगला लक्ष्य अगले साल भारत में होने वाले टी20 विश्व कप का खिताब है। और दक्षिण अफ्रीका के लिए — यह जीत की तलाश जारी रहेगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस जीत ने न्यूजीलैंड के टी20 इतिहास पर क्या प्रभाव डाला?
इस जीत के साथ न्यूजीलैंड ने अपने टी20 इतिहास में तीसरी बड़ी ट्रॉफी जीत ली — दो ट्राई-सीरीज (2022, 2025) और एक आईसीसी टी20 विश्व कप (2021)। यह उनकी टीम की अडिगता को दर्शाता है, खासकर आखिरी ओवरों में दबाव का सामना करने की क्षमता।
दक्षिण अफ्रीका क्यों आखिरी ओवर में फेल हो गया?
दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाज़ों ने आखिरी ओवर में अत्यधिक आक्रामक खेलने की कोशिश की, जिससे दो विकेट गिर गए। उनके बल्लेबाज़ों ने बल्ला लगाने की जगह गेंद को नियंत्रित करने की जरूरत थी। एक बार विकेट गिर गया तो दबाव बढ़ गया और गेंदबाज़ ने एक लाइन बाउंड्री के साथ बल्लेबाज़ को बाहर कर दिया।
क्या यह ट्राई-सीरीज भारतीय दर्शकों के लिए खास थी?
हां। भारतीय टीवी नेटवर्क्स जैसे न्यूज18 और टाइम्स नाउ ने इस फाइनल को लाइव कवर किया, क्योंकि यह टी20 टूर्नामेंट दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के बीच था — दोनों टीमें भारत के खिलाफ अगले वर्ष विश्व कप में खेलेंगी। इसलिए यह उनकी रणनीति और खिलाड़ियों के प्रदर्शन का एक अच्छा अध्ययन था।
रचिन रविंद्रा और डेवन कॉनवे के प्रदर्शन का क्या महत्व था?
दोनों ने 47-47 रन बनाकर टीम के लिए एक संतुलित आधार बनाया। इन दोनों के बीच रन रेट 9.8 के आसपास रहा, जो टी20 में बहुत स्थिर है। उनके बाद टीम ने अंतिम ओवरों में तेजी से रन बनाए, जिससे टीम को लगभग 180 का स्कोर बनाने में मदद मिली।
हरारे स्पोर्ट्स क्लब के मैदान पर यह जीत क्यों अनोखी है?
हरारे के मैदान पर अब तक केवल एक बार टी20 फाइनल खेला गया था — 2017 में श्रीलंका बनाम बांग्लादेश। इस बार का मैच इसका सबसे रोमांचक फाइनल रहा, क्योंकि यह दो टॉप-10 टीमों के बीच था और आखिरी ओवर में जीत का फैसला हुआ। इसके बाद यह मैदान अब टी20 के लिए एक बड़ा गंतव्य बन गया है।
अगले महीने न्यूजीलैंड के लिए क्या चुनौतियां हैं?
अगले महीने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन मैचों की सीरीज होगी, जहां ऑस्ट्रेलिया ने पिछले तीन मैचों में न्यूजीलैंड को हराया है। न्यूजीलैंड को अब आखिरी ओवर के बल्लेबाज़ों को और अधिक तैयार करना होगा, खासकर ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों के खिलाफ जो बहुत तेज़ और लंबी लाइन डालते हैं।
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11 टिप्पणि
Vikas Yadav
ये मैच तो बस एक फिल्म जैसा लगा... आखिरी गेंद पर एज से टकराकर विकेटकीपर के हाथों में जाना... ओहो! दिल धड़क रहा है अभी भी! ज़ाकरी फौल्केस ने तो बस एक लाइन डाली, और पूरी दुनिया रुक गई... इतिहास बन गया!
Amar Yasser
अरे भाई, ये तो न्यूजीलैंड की टीम ने बस दिल जीत लिया! रविंद्रा और कॉनवे की जोड़ी ने तो बिल्कुल बेसिक बल्लेबाज़ी के साथ जीत छीन ली... आखिरी ओवर में दबाव बर्दाश्त करना सीखना होगा दक्षिण अफ्रीका को! बहुत अच्छा मैच था!
Steven Gill
क्या आपने ध्यान दिया कि जब ब्रेविस ने छक्का मारा था, तो वो शॉट ऐसा लगा जैसे समय रुक गया हो... फिर अगली गेंद पर विकेट गिर गया... जीवन भी ऐसा ही है ना? एक पल में सब कुछ बदल जाता है... ये मैच बस एक दर्शन था, जो बता रहा था कि नियंत्रण और अनिश्चितता के बीच क्या अंतर होता है...
Saurabh Shrivastav
अरे यार, न्यूजीलैंड ने जीता तो जीता, पर दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाज़ तो बस एक गेंद पर बहुत ज्यादा सोच रहे थे... जैसे कोई ऑनलाइन डेटिंग ऐप पर अपनी प्रोफाइल एडिट कर रहा हो... आखिरी गेंद पर बल्ला लगाने की बजाय बस एक बार फिर गूगल कर लेते!
Prince Chukwu
ये मैच तो बस एक भारतीय रात का सपना था... जब आखिरी गेंद एज से टकराई, तो मैंने अपनी चाय का गिलास उल्टा कर दिया! न्यूजीलैंड ने तो दिल की धड़कन को भी बंद कर दिया... रविंद्रा का एक्स्ट्रा कवर ड्राइव? वो तो गांव के बच्चे जैसा था जो फुटबॉल खेलते हुए बारिश में भी जीत जाता है! जय न्यूजीलैंड! जय क्रिकेट!
Divya Johari
इस खेल के नियमों के अनुसार, आखिरी ओवर में दो विकेट गिरने के बाद बल्लेबाज़ को नियंत्रित खेलना चाहिए था। इसके बजाय अत्यधिक आक्रामकता दिखाना अनुचित था। यह खेल के आध्यात्मिक सिद्धांतों के विपरीत है।
Aniket sharma
अच्छा मैच था। बल्लेबाज़ों ने दबाव में बहुत अच्छा खेला। अगले मैच में भी ऐसा ही खेलना होगा। दक्षिण अफ्रीका को निराश नहीं होना चाहिए। एक गेंद का फर्क है, वो भी बहुत कुछ बदल सकता है।
Unnati Chaudhary
मैंने ये मैच अपने बिस्तर पर देखा... और जब वो आखिरी गेंद एज से टकराई, तो मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं... और फिर चीख पड़ी! ये तो बस एक गीत था... जिसमें दर्द, उम्मीद, और एक बार फिर जीत की आवाज़ थी। न्यूजीलैंड ने दिल जीत लिया, न केवल मैच!
Sreeanta Chakraborty
क्या आपको लगता है कि ये सब एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है? दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाज़ों को जानबूझकर गिराया गया? क्योंकि ये आखिरी ओवर का अंत बहुत बार दोहराया गया है... और हर बार न्यूजीलैंड जीत गया? ये नहीं लगता कि ये यादृच्छिक है।
Vijendra Tripathi
देखो, रविंद्रा ने जो शॉट लगाया, वो तो बस एक बेसिक ड्राइव था... पर उसकी टाइमिंग ने तो गेंद को बाउंड्री के पार भेज दिया! आखिरी ओवर में बल्लेबाज़ को बस एक चीज़ चाहिए थी - शांति! न्यूजीलैंड के गेंदबाज़ ने बस उसी शांति को बरकरार रखा... बाकी सब तो अपने आप हो गया! बहुत बढ़िया खेल!
ankit singh
फौल्केस की आखिरी गेंद बिल्कुल सही थी लाइन में और डिलीवरी भी बहुत सही थी बल्लेबाज़ को एज पर लगाने के लिए और विकेटकीपर ने भी बहुत अच्छा कैच लिया
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