मुम्ब्रा स्टेशन के पास बड़ा ट्रेन हादसा, चार की मौत और कई घायल
मुंबई के उपनगरीय इलाकों में रोजाना लाखों लोग लोकल ट्रेनों में सफर करते हैं। इसी सफर में 9 जून 2025 को कसारा जा रही एक लोकल ट्रेन जब मुम्ब्रा स्टेशन के पास एक तीखे मोड़ से गुज़र रही थी, तभी जबरदस्त झटका लगा और ट्रेन की भीड़भाड़ में चार यात्री गिर गए। इनकी मौके पर ही मौत हो गई, जबकि नौ अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसा सुबह करीब 9:30 बजे हुआ, जब डीवा से मुम्ब्रा के बीच ट्रेन तेज़ रफ्तार से टर्न ले रही थी।
गवाहों के मुताबिक, ट्रेन के डिब्बों में इतने लोग थे कि दरवाजों तक लटककर सफर करना मजबूरी बन गया था। तेज मोड़ पर झटके की वजह से कई लोग नियंत्रण खो बैठे और प्लेटफॉर्म किनारे गिर गए। मुम्ब्रा स्टेशन पर ऐसा हादसा पहली बार नहीं हुआ, लेकिन इस बार मरने वालों की संख्या ने फिर सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। दूसरी ओर से आ रही ट्रेन की गति और साउंड ने भी हादसे को बढ़ाया।

पहले दी गई चेतावनियां अनसुनी, अब प्रशासन पर सवाल
इस हादसे का सबसे चौंकाने वाला पहलू ये है कि चार महीने पहले ही सामाजिक कार्यकर्ता आनंद मरुति पाटिल ने रेलवे अधिकारियों को खत लिखकर इसी रूट पर हादसों की आशंका जताई थी। उन्होंने फरवरी 2025 में साफ चेताया था कि मुम्ब्रा स्टेशन के पास मोड़ पर कोच अक्सर झुक जाते हैं और यहां सुरक्षा इंतजाम बेहद कमजोर हैं। लेकिन रेलवे प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया और नतीजा सामने है।
हादसे के तुरंत बाद घायल यात्रियों को शिवाजी अस्पताल और ठाणे जनरल अस्पताल पहुंचाया गया। राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद अस्पताल पहुंचे, पीड़ितों के परिवारों से मिले और निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया। रेलवे बोर्ड ने भी आनन-फानन में नए लोकल रेक्स में ऑटोमैटिक डोर-क्लोजिंग सिस्टम लगाने और पुराने रेक्स में इसे जोड़ने का एलान किया है।
- हादसे ने एक बार फिर दिखा दिया कि मुंबई की लाइफलाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेनें कितनी असुरक्षित हो सकती हैं।
- सुबह-शाम की भीड़ में होने वाली धक्का-मुक्की और बिना दरवाजे के सफर करने की मजबूरी, यात्रियों की जान पर भारी पड़ रही है।
- हादसे के तुरंत बाद सरकार और रेलवे प्रशासन ने भले बड़े-बड़े ऐलान किए हों, लेकिन असली बदलाव धरातल पर कब दिखेगा, इसका जवाब सभी जानना चाहते हैं।
- सवाल यही है कि जब एक सामाजिक कार्यकर्ता ने पहले ही चेताया था तो जिम्मेदार अफसरों ने क्यों समय रहते कदम नहीं उठाए? अब हर किसी की नजरें जांच और भविष्य की सुरक्षा व्यवस्था पर टिकी हैं।
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