जब बेथ मूनी, मिडल‑ऑर्डर बॅटर और ऑस्ट्रेलिया की ऑस्ट्रेलिया महिला क्रिकेट टीम ने 20 सितंबर 2025 को नई दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में भारत के खिलाफ तीसरा और अंतिम ODI खेलते हुए 57 गेंदों में शतक बनाया, तो धूप में छाया एक नया रिकॉर्ड बन गया। इसका मतलब था कि बेथ ने करेन रोलटन के 2000‑01 के शतक के बराबर गति हासिल कर ली, जो तब तक अकेला रिकॉर्ड धारक था। यह उपलब्धि केवल व्यक्तिगत गर्व नहीं, बल्कि दोनों टीमों की आने वाली ODI विश्व कप की तैयारियों पर गहरा असर डालती है।
रिकॉर्ड‑निर्माण की पृष्ठभूमि
बेथ मूनी का 138 रन का ब्लिट्ज 75 गेंदों पर समाप्त हुआ, लेकिन 100 रनों का माइलस्टोन सिर्फ 57 गेंदों में पहुँच गया। इस आँकड़े को पहले करेन रोलटन ने 2000‑01 में लिंकन के खिलाफ बनाया था, जबकि सबसे तेज़ 45‑गेंनों का शतक मेग लैन्निंग ने 17 दिसंबर 2012 को न्यू सिडनी में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ किया था। 2024‑25 सीज़न में स्मृति मंधाना का 50‑गेंनों का शतक भारत‑ऑस्ट्रेलिया द्विआधारी में दूसरे क्रम में आया, जिससे इस दौर की तेज़-तर्रार बैटिंग की परिदृश्य स्पष्ट हो गया।
ऑस्ट्रेलिया का आक्रमणीय खेल
ऑस्ट्रेलिया ने जीत के लिए पहले बल्लेबाजी का विकल्प चुना, जबकि भारत ने पहले ही मुल्लनपुर में अपने तीव्र जीत से श्रृंखला को बराबर कर दिया था। शुरुआती 10 ओवर में ही टीम ने 77 रन बनाकर पावरप्ले को बग़ावत की। बेथ की साझेदारी में ऐशली गार्डनर ने 24 गेंदों में 39 रन बनाए, जिससे चौथे विकेट पर 82‑रन का गठबंधन बना। बेथ ने असली आक्रमण 16 चौरसों और एक छक्के के साथ दिखाया, और 38वें ओवर की दूसरी गेंद पर राधा यादव को छक्का मारते हुए शतक पूरा किया।
भारत की चुनौती और प्रतिक्रिया
हर्मनप्रीत कौर की कप्तान में भारतीय गेंदबाज़ी ने शुरुआती ओवरों में गंभीर भ्रम का शिकार किया। बेथ के रन‑बनाने के बाद भी टीम ने समय पर बदलाव नहीं किया, जिससे उन्होंने 379‑6 की उच्चतम साझेदारी बना ली। अंत में बेथ को रेनुका सिंह ठाकुर द्वारा रन‑आउट कर दिया गया, और स्कोर 412‑6 पर समाप्त हुआ। यह स्कोर ऑस्ट्रेलिया के 1997 विश्व कप में डेनमार्क के खिलाफ बनाए गए 412‑3 के बराबर था, पर भारत के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा रन‑छूट (371 रन को पीछे छोड़ते हुए) बन गया।
आगामी ODI विश्व कप पर प्रभाव
विश्व कप केवल 10 दिन दूर है, और इस बड़े नुकसान से भारतीय टीम को अपनी गेंदबाज़ी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ेगा। विशेषज्ञ आनंद कुमार (पिछले 20 वर्षों के क्रिकेट विश्लेषक) ने कहा, "अगर इस तरह की गहरी गिरावट को ठीक नहीं किया गया, तो होम ग्राउंड पर सामना करने वाले किसी भी टीम को रोकना मुश्किल होगा।" दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया का कोच ऐलेक्स वूड ने कहा, "बेथ का प्रदर्शन पूरी टीम के आत्मविश्वास को बढ़ाता है, और हमें विश्व कप में भी यही आक्रमणीय रिवाज़ दिखाना चाहिए।"
मुख्य आँकड़े और तुलना
- बेथ मूनी का 57‑गेंनों में शतक – करेन रोलटन के बराबर
- ऑस्ट्रेलिया का कुल 412 रन – 1997 में डेनमार्क के खिलाफ समान स्कोर
- भारत ने अब तक का अधिकतम 412 रन खोला – पिछले रिकॉर्ड 371 (डिसंबर 2024)
- मेग लैन्निंग का 45‑गेंनों में शतक अभी भी सबसे तेज़
- स्मृति मंधाना का 50‑गेंनों में शतक भारत के लिए दूसरा तेज़तम
भविष्य की राह
अब दो हफ़्ते में शुरू होने वाले विश्व कप में दोनों टीमें अपनी-अपनी रणनीति को सुदृढ़ करने की कोशिश करेंगी। भारत को विशेष रूप से लैंडिंग बॉल्स और मध्य‑ओवर की कंट्रोल पर काम करना होगा, जबकि ऑस्ट्रेलिया अपने तेज़‑पेसिंग अटैक और लचीली मध्य‑क्रम को बनाए रखने की कोशिश करेगी। इस बीच, बेथ मूनी जैसे खिलाड़ी का मौजूद होना भारत के खतरों को बढ़ाता है, इसलिए हर टीम को खुद को तैयार करना ही भविष्य के जीत का मूल मंत्र है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बेथ मूनी की इस शतक से भारत की गेंदबाज़ी पर क्या असर पड़ेगा?
भारी स्कोर का मतलब है भारतीय गेंदबाज़ों को अपनी लाइन‑और‑लॉन्ग, वेरिएशन और फील्ड प्लेसमेंट पर तुरंत काम करना पड़ेगा। कोचिंग स्टाफ यह कह रहा है कि अगले दो हफ्तों में बॉल‑टेम्पो और बाउंस‑कंट्रोल ड्रिल्स पर ज़ोर दिया जाएगा, ताकि ऐसी तेज़‑तर्रार आक्रमण को रोका जा सके।
क्या बेथ मूनी का यह शतक ऑस्ट्रेलिया के विश्व कप की तैयारी को बदल देगा?
बिल्कुल। बेथ का 57‑गेंनों में शतक टीम के मनोबल को बढ़ाता है और बताता है कि पावरप्ले से ही आक्रमण शुरू किया जा सकता है। कोच एलेक्स वुड ने कहा है कि इस प्रकार का प्रदर्शन डाल‑इंडियन पिचों पर भी लागू किया जाएगा, जिससे ऑस्ट्रेलिया का टॉप‑ऑर्डर विश्व कप में और भी आक्रामक रहेगा।
तीन दिनों पहले स्मृति मंधाना ने भी तेज़ शतक बनाया था, दोनो शतक में क्या अंतर है?
स्मृति ने 77 गेंदों में शतक बनाया, जबकि बेथ ने सिर्फ 57 गेंदें लीं। दोनों ने 100‑रन सीमा पार की, पर बेथ की रेट अधिक तेज़ थी, जिससे उनका शतक दोनो देशों की पिच पर अलग‑अलग तकनीक को दर्शाता है – स्मृति ने अपने क्लासिक आक्रामक फॉर्म को अपनाया, बेथ ने अधिक पॉवर‑हिटिंग और रोटेशन का मिश्रण दिखाया।
इस मैचा के बाद विश्व कप में भारत को किन मुख्य सुधारों की जरूरत है?
स्पेशलिस्ट मानते हैं कि भारत को मध्य‑ओवर की गेंदबाज़ी में वैरायटी लाना होगा, लाइन‑और‑लॉन्ग की सुसंगती बनानी होगी और फील्ड सेट‑अप को अधिक अक्रामक बनाना होगा। इसके अलावा, बॅटरों को तेज़ फ़िल्डिंग और रन‑रिवर्सल में सुधार करना पड़ेगा, ताकि बड़े स्कोर को कम किया जा सके।
अरुण जेटली स्टेडियम में इस तरह के हाई‑स्कोर वाली मैचा कितनी बार हुई है?
स्टेडियम ने पहले 2017 में भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया के टेस्ट में 550‑रन का स्कोर देखा था, पर ODI में 2025 की यह 412‑रन की पारी अब तक की सबसे अधिक है। इसका कारण है पिच की तेज़ बाउंस और छोटे आउटफील्ड, जो बैट्समैन को अटैक करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
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7 टिप्पणि
Rani Muker
बेथ की तेज़ी से 57 गेंदों में शतक देख कर युवा बैटरों को आत्मविश्वास मिलता है। ऐसे पर्दे के पीछे जिम में काम करना और फील्ड में जल्दी‑जल्दी रोटेशन सीखना जरूरी है। अगर हम अपनी ग्राउंड में भी पिच को थोड़ा तेज़ बाउंस वाला बनाएँ तो भारत की गेंदबाज़ी को भी फायदा होगा। महिलाओं के लिए ये जीत एक प्रेरणा की तरह काम करेगी और अगले विश्व कप में उनके लिए नई उम्मीदें जगाएगी।
Hansraj Surti
बेथ का शतक जैसे धुंध में चिंगारी है जो सबको जागरूक कर देती है 😎. वह सिर्फ 57 गेंदों में सौ रन नहीं बना, वह एक दर्शन बन गया है 🔥. उसकी बैटिंग में शक्ति और सटीकता का मिश्रण देखना एक कला है. वह पिच की हर बाउंस को पढ़ती है और उसी के अनुसार अपनी शॉट का चयन करती है. वह किसी भी विकेट के बाद भी अपना रिद्म नहीं खोती और टीम को मजबूती देती है. यह प्रदर्शन ग्रीष्मकालीन लहरों की तरह तेज़ और भड़काऊ है. वह दर्शाता है कि आधुनिक महिला क्रिकेट में आक्रमण का नया मानक स्थापित हो रहा है. हर बॉल को अवसर मानते हुए वह सीमा के बाहर की छक्के मारती है और साथ ही बीच में रोटेशन भी करती है. वह एक ही ओवर में दो बार पाया गया अंडरपिच हिट्स का प्रत्यक्ष प्रमाण है. वह विपक्षी के प्लान को उलट देती है और उनके बॉलर को डरी हुई स्थिति में छोड़ देती है. इस जीत से ऑस्ट्रेलिया की टीम की आत्मा में नई ऊर्जा प्रवाहित हुई है और भारत को अपनी गेंदबाज़ी रणनीति दोबारा सोचनी पड़ेगी. यह सब एक ही मैच में देखना इतिहास में दर्ज होगा और भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा 🎉. ऐसे प्रदर्शन से युवा खिलाडियों को अपने खेल में जोखिम उठाने का साहस मिलेगा. कोचेज़ को भी अब अधिक आक्रमणात्मक ड्रिल्स पर फोकस करना चाहिए. अंत में कहा जा सकता है कि बेथ ने क्रिकेट के मानचित्र को फिर से खींचा है.
Naman Patidar
आराम से कहा तो, स्कोर तो भाया।
Vinay Bhushan
बेटी की इस जीत से पीछे हटना मुमकिन नहीं, हमें अपने बॉलर को तेज़ पिच पर भी सटीक बनाना होगा। अब टॉप‑ऑर्डर को हराने के लिए फील्डिंग में भी दबाव डालना पड़ेगा। इस रेकॉर्ड को देखते हुए हमारी रणनीति में माइंड़सेट बदलना आवश्यक है।
Gursharn Bhatti
ऐसे शतक के पीछे अक्सर पिच की तैयारी में अनिच्छा झलकती है, यह कभी-कभी ऊँची बाउंस की वजह से होती है जो विरोधी टीम को असहज कर देती है। कुछ लोग कहते हैं कि इस स्टेडियम में विशेष ग्रेन का मिश्रण प्रयोग किया गया था ताकि तेज़ बॉल को अनुकूल बनाया जा सके। यदि हम इस बात को अनदेखा नहीं करेंगे तो भविष्य में इसी तरह की स्थितियों से बचना मुश्किल हो सकता है।
Arindam Roy
इतना बड़ा स्कोर देखना दिल को खुशी देता है, लेकिन हमें अपनी औसत को भी सुधरना चाहिए।
Parth Kaushal
स्कोर की चमक में अक्सर छुपी होती है टीम की असली ताकत, क्योंकि जब बैट्समैन इस तरह धूम मचा रहे होते हैं तो बॉलर को हर फेवर में निरंतर मेहनत करनी पड़ती है, और यही मेहनत अंत में मैच के परिणाम को तय करती है; इसलिए हमें केवल बड़ी पारी को याद नहीं रखना चाहिए बल्कि उस पिच की प्रकृति, मौसम की स्थिति और फील्डिंग के स्तर को भी समझना चाहिए, नहीं तो एक दिन हमारी टीम भी इस तरह के आक्रमण का शिकार बन सकती है।
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